राजगढ़। भारतीय समाज में महिलाओं के साथ घटित हो रहे अपराधों पर लगाम लगाने हेतु भारत सरकार एवं राज्य सरकार की ओर से सतत रूप से प्रयास किये जा रहे हैं। अब यह प्रयास सार्थक होते दिखाई देने लगे हैं। अब यदि किसी अभियुक्त ने किसी महिला अथवा लड़की के साथ कोई भी लैंगिक अपराध घटित किया है तो वह कितने भी बचने के प्रयास कर ले उसे सजा होना लगभग तय हो गया है।
इसी तरह का एक मामला विगत दिनों प्रकाश में आया जिसमें सामूहिक दुष्कर्म के आरोपीगणों ने न्यायालय से बरी होने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपनाये किंतु इसके बाद भी प्रकरण का एक आरोपी अपनी आत्म ग्लानि एवं सजा के भय से उसने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी वहीं दूसरी ओर प्रकरण के एक आरोपी को न्यायालय के द्वारा बीस वर्ष के सश्रम कारावास से दण्डित किया गया है।
अभियोजन का प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 03.05.2016 को फरियादी ने थाना माचलपुर में रिपोर्ट लिखवाई कि उसकी बहन पीडित महिला जो मानसिक रूप से कमजोर थी इसी कारण वह अपनी ससुराल से आकर मायके में रहने लगी थी । घटना दिनांक को दोपहर 12 बजे जब वह मवेशी ढूंढने जा रहा था तब पुलिया के नीचे बहन के चिल्लाने की आवाज आई । फरियादी ने जाकर देखा कि पुलिया के नीचे दिनेश (परिवर्तित नाम) और एक अन्य व्यक्ति उसके साथ खोटा काम कर थे। उसने दोनों को पकड़ा था और थाने लेकर आते समय रास्ते में दोनों हाथ छुडाकर भाग गये थे जिसके बाद फरियादी ने यह पूरी घटना घर जाकर बताई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर प्रकरण में विवेचना प्रारंभ की गई सम्पूर्ण विवेचना उपरांत विचारण हेतु अभियोग पत्र न्यायालय मे ंप्रस्तुत किया गया।
इस प्रकरण के विचारण उपरांत जिला न्यायालय में पदस्थ माननीय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट डॉ. अंजली पारे ने अपने सत्र प्रकरण क्रमांक 269/16 धारा 376घ भादवि में महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी दिनेश (परिवर्तित नाम) को बीस वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रूपये जुर्माने से दण्डित किया है।
प्रकरण के संबंध में जानकारी देते हुये विशेष लोक अभियोजक श्री आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण की कार्यवाही दोनों आरोपीगणों के लिए की गई थी, किंतु विचारण के आखिरी अनुक्रम पर एक अभियुक्त के फौत हो जाने के कारण थाना माचलपुर से उसकी फौती रिपोर्ट बुलबाई गई थी और निर्णय के पूर्व एक आरोपी की मृत्यु हो जाने के आधार पर उसके विरूद्ध की जा रही कार्यवाही समाप्त करवाई जाकर केवल अभियुक्त दिनेश (परिवर्तित नाम) के लिए अग्रिम विचारण कार्यवाही जारी रखवाये जाने के आदेश न्यायालय से कराये गये थे।
विचारण के दौरान माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोजन की ओर से लिखित एवं मौखिक तर्क प्रस्तुत कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के लैण्डमार्क जजमेंट खुज्जी उर्फ सुरेन्द्र विरूद्ध मध्यप्रदेश राज्य प्रस्तुत कर प्रकरण में पारित मान्य न्यायिक सिद्धांत के आधार पर साक्षी जो अपनी साक्ष्य के पश्चातवर्ती अनुक्रम पर पक्षविरोधी हो गये थे, की साक्ष्य का प्रथम भाग अभियोजन के पक्ष में पढे जाने हेतु निवेदन किया गया था जिसके आधार पर माननीय न्यायालय की विदुषी पीठासीन अधिकारी डॉ. अंजली पारे ने अपने निर्णय में आरोपी दिनेश (परिवर्तित नाम) को बीस वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रूपये जुर्माने से दण्डित किया है। इस प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी राजगढ श्री आलोक श्रीवास्तव द्वारा की गई है।
एक अभियुक्त ने अपराध की आत्मग्लानि के कारण आत्महत्या कर ली-
प्रकरण के एक आरोपी ने अपराध घटित किये जाने की अपनी आत्म ग्लानि एवं सजा के भय से उसने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी।
पीडित महिला से राजीनामा भी काम नहीं आया
विचारण के दौरान सामूहिक दुष्कर्म के दोनों आरोपीगणों ने पीडिता और उसके परिवार वालों से सतत संपर्क कर राजीनामा किया जिसके कारण न्यायालय में पीडित महिला का भाई और उसकी मां पक्षविरोधी हो गये साथ ही स्वयं पीडित महिला ने भी राजीनामा हो जाने के कारण अपने साथ हुई घटना घटित होने से इंकार किया और अपने बयानों से पलट गई इसके उपरांत भी न्यायालय ने राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला भोपाल से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर अभियुक्त को दोषी करार दिया।