राजगढ। माननीय न्याायालय तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अंजली पारे राजगढ ने सत्र प्रकरण क्रमांक 117/20 धारा 376, 323 भादवि में 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला के साथ बलात्कार और मारपीट के आरोप में आरोपी भूरा उर्फ दिनेष को धारा 376 भादवि में आजीवन कारावास एवं पांच हजार रूपये जुर्माना तथा धारा 323 भादवि में 1 वर्ष के कारावास एवं एक हजार रूपये जुर्माने से दण्डित किया है।
अभियोजन मीडिया प्रभारी श्री आषीष दुबे ने घटना की जानकारी देते हुये बताया है कि दिनांक 19.04.2020 को फरियादी ने थाना कालीपीठ में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी दादी उम्र 75 साल शौच के लिए गई थी तब एक लडकी ने आकर बताया कि गांव का भूरा दादी के ऊपर चढा था तब वह दौडकर घटनास्थल पर पंहुचा और उसने व उसके दोस्त ने पंहुचकर दादी के ऊपर से भूरा को उठाया दादी के मुंह व हाथ से खून निकल रहा था भूरा दादी के साथ बलात्कार कर रहा था। जिसके बाद डायल 100 पर सूचना दी थी। थाना कालीपीठ में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई थी। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
माननीय न्याायालय पाॅक्सो एक्ट के पीठासीन न्यायाधीश श्रीमति अंजली पारे राजगढ ने अभियुक्त भूरा पर आरोप गठित कर विचारण प्रारंभ किया । प्रकरण में पीडित बुजुर्ग महिला की साक्ष्य के दौरान यह पाया कि अति बुजुर्ग एवं बीमार महिला ठीक से चलने में असमर्थ है और उसे उम्र अधिक होने के कारण कमजोरी की भी समस्या है किंतु इसके बाद भी अति बुजुर्ग एवं बीमार महिला बिना चष्मे के देख पाने में पूर्णतः सक्षम है। अति बुजुर्ग एवं बीमार महिला के पक्षविरोधी होने के कारण जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आलोक श्रीवास्तव ने न्यायालय से निवेदन कर पीडित महिला के कथनों के समय की गई वीडियो रिकाॅर्डिंग की सीडी चलाकर देखे जाने का निवेदन किया तब न्यायालय में सीडी चलाकर देखी गई जिसमें पीडित महिला से पूछताछ कर कथन लेख करते हुये महिला उपनिरीक्षक सुश्री मोनिका राय दिख रहीं थी और पीडित महिला आरोपी भूरा उर्फ दिनेष के द्वारा बलात्कार करने की घटना का विवरण बतलाते हुये कथन दे रही है।
अभियोजन की ओर से इस प्रकरण में कुल 10 अभियोजन साक्षियों का परीक्षण कराया गया। जिसमें प्रस्तुत साक्ष्य एवं लिखित बहस से सहमत होते हुये माननीय न्यायालय ने आरोपी भूरा उर्फ दिनेष को दोषी पाते हुये आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया है। इस प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी डीपीओ श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ द्वारा की गई है।
प्रतिकर हेतु आदेश
माननीय न्यायालय ने राजगढ जिले का एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये कहा है कि अपराध की गंभीरता और पीडित वृद्धा द्वारा उठायी गयी मानसिक, शारीरिक अपहानि और क्षति की गंभीरता अपराध के परिणामस्वरूप मानसिक आघात तथा अन्वेषण और विचारण के कारण पीडित वृद्धा पर पडने वाले अधिसंभाव्य भावी परिणाम जबकि आरोपी पीडित वृद्धा के गांव का निवासी है। माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी भूरा दण्डित किये जाने के पष्चात गांव में निवासित आरोपी और पीडिता के उभयनिष्ठ नातेदारों का निराश्रित पीडिता के प्रति संभाव्य आचरण तथा समय परिस्थितियों के दृष्टिगत पीडित वृद्धा को मध्यप्रदेष अपराध पीडित प्रतिकर योजना के अधीन मध्यप्रदेष शासन से युक्तियुक्त प्रतिकर दिलाये जाने की अनुसंषा की है।
न्यायालय के द्वारा आरोपी से प्राप्त जुर्माने की सम्पूर्ण राषि भी पीडित अति बुजुर्ग एवं बीमार महिला को प्रदान करने के आदेष दिये हैं।
पुनर्वास हेतु आदेश
पीडित वृद्धा एवं आरोपी के उभयनिष्ठ नातेदारों एवं अन्य संबंधियों द्वारा उसके विरोधपूर्ण एवं आक्रोषपूर्ण आचरण होना स्वाभाविक है। पीडित वृद्धा स्वयं के दिनचर्यात्मक कार्य किये जाने में असमर्थ है तब प्रतिकर के माध्यम से प्रदत्त किये जाने वाली धनीय सहायता यथायोग्य अनुतोष प्रतीत नहीं होती है। अतः पीडित वृद्धा की आयु, निःषक्तता एवं पारिवारिक स्थिति के दृष्टिगत उसके पुनर्वास की व्यवस्था किया जाना आवष्यक है।
पीडित महिला का कोई भी हितैषी अथवा रिष्तेदार गांव में नहीं है और वह गांव में अकेली ही रहती है ऐसी स्थिति में पीडित महिला को आरोपी की ओर से उसे जान माल का खतरा हो सकता है।
इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुये न्यायालय ने जिलाध्यक्ष राजगढ को निर्णय की प्रति प्रेषित करते हुये निर्देष दिये है कि पीडित अति बुजुर्ग एवं बीमार महिला को सुरक्षा प्रदान करते हुये समुचित पुनर्वास की व्यवस्था की जावे।