
मामले की जानकारी देते हुए प्रकरण में राज्य की ओर से पैरवी कर रहे जिला लोकअभियोजक जेपीशर्मा ने बताया कि ग्राम खेरखेड़ी खुर्द निवासी बनेसिंह तंवर ने दिनांक 08.03.2017 को पुलिस थाना भोजपुर मे प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध क्रमांक 34/2017 अंतर्गत धारा 435 भारतीय दण्ड संहिता की इस आशय की दर्ज करवाई कि दिनांक 07.03.2017 को रात के समय वह अपने गेहूँ की रखवाली कर रहा था उसके खेत के पास ही माधोलाल, करनसिंह, जगन्नाथ तंवर के बाड़िया भी है जिनमे पलंग,बिस्तर,मक्का की फसल और कंडे का पिंडावला भी लगा हुआ था जिनमें आरोपीगण द्वारा झगड़ा प्रथा के विवाद को लेकर आग लगा दी।
बनेसिंह तंवर द्वारा आरोपी रामबाबू और श्रीलाल को आग लगाकर भागते हुए पहचान लिया था। फरियादी बनेसिंह द्वारा एक किलोमीटर तक दोनों आरोपीगण का पीछा भी किया किन्तु वह पकड़ में नहीं आये और भाग गए।
अभियोजन की और से प्रकरण में विचारण के दौरान कुल सात साक्षीगण के कथन न्यायालय में करवाये गए जिन्होंने घटना का समर्थन किया ओर आरोपीगण द्वारा फरियादी बनेसिंह, माधोलाल और करनसिंह के आग लगाकर नुकसान करने की घटना की पुष्टि की।
न्यायालय द्वारा प्रकरण में हुए समस्त गवाहों के कथनों तथा लोकअभियोजक द्वारा दिये गए तर्कों पर गंभीरता पूर्वक विचार किया जाकर आरोपीगण को आग लगाकर रिष्टि कारित करने का दोषी पाया गया तथा दोनों आरोपीगणों को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 435 (तीन शीर्ष) में तीन-तीन वर्षों का कठोर कारावास और 60-60 हजार रुपये के अर्थदण्ड की राशि से दंडित किया गया है।
आरोपीगण द्वारा जमा की गई अर्थदण्ड की राशि मे से 12000 रुपये बतौर प्रतिकर के फरियादी बनेसिंह पिता बीरम को तथा 15000 रुपये माधोलाल पिता बीरम एवं दस हजार रुपए करनसिंह पिता बीरम सर्व निवासीगण ग्राम खेरखेड़ीखुर्द को अपील अवधि उपरांत दिए जाने का भी निर्णय पारित किया गया है।
*राजगढ़ जिले में महिलाओं को नारकीय जीवन जीने को मजबूर करने वाली झगड़ा नात्रा प्रथा के उन्मूलन में माननीय न्यायालय द्वारा दी गयी कठोर सजा से अपराधियों के मन मे अवश्य ही भय उत्पन्न होगा।