बुरहानपुर- अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये फसलों को विभिन्न रोगों से सुरक्षा करना तथा फसलों में जो उर्वरक दिया जाता है उसका समुचित उपयोग करने के लिये फसल के बीजों को बोने से पूर्व उपचारित करना आवश्यक होता है।
यह जानकारी किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग उपसंचालक श्री एम.एस.देवके ने दी। उन्होंने बताया कि विभिन्न फसलों के बीजों को तीन प्रकार की औषधियों से उपचारित करते है, पहला तरीका फफूंदनाशक से बीजांे को उपचार करने पर बीज एवं मिट्टी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां जैसे तुअर में खड़ी फसल सूखने की बीमारी, सोयाबीन में पौध गलन आदि नही लगती है, फफूंदनाशक से बीज उपचार हेतु कार्बन्डिजम डेढ़ ग्राम एवं थायरम डेढ़ ग्राम को एक किलो बीज में अच्छी तरीके से मिलाये, प्लास्टिक की थैली में बीज भरकर दवा मिलाकर, थैली बंद कर अच्छे से हिलाने पर बीज के ऊपर दवा की पर्त जमा हो जाती है।
उन्होंने बताया कि फफूंदनाशक से उपचार करने के बाद दूसरा तरीका कीटनाशक से उपचारित करें, जिससे रसचूसक/दीमक से बचाया जा सकें जिसमें इमिडा क्लोप्रिड, डेढ़ एम.एल. मात्रा 1 किलो बीज में पर्याप्त होता है। उसके पश्चात कल्चर से उपाचारित करें, बीज को कल्चर से उपचारित करने पर पौधे की जड़े पर्याप्त मात्रा में वायुमण्डल से नाईट्रोजन का अवशोषण करती है तथा पौधे को फास्फोरस उपलब्ध कराने का काम करती है। दलहनी फसलों लिये राइजोबियम कल्चर एवं अनाज वाली फसलों के लिये एजेक्टोबेक्टर का उपयोग करते है। फसलों में जो सुपर फास्फेट उर्वरक दिया जाता है, उसका मात्र 5 से 8 प्रतिशत उपयोग होता है एवं शेष मिट्टी में स्थिर हो जाता है, मिट्टी में स्थित उर्वरक को पौधों में उपलब्ध कराने के लिये पी.एस.बी. कल्चर से बीज को उपचारित करें कल्चर की मात्रा 5 से 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपयोग करें जिससे उपज में 25-30 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
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