शैक्षणिकबुरहानपुर जिले में ग्रामीण सडक विकास प्राधीकरण परियोजना में सडक निर्माण किये बिना कान्ट्रेटर को लगभग 1 करोड़ रुपये का किया भुगतान,शासन को हानि पहुंचाने वाले आरोपी दिपककांत गुप्ता की न्यायालय ने की जमानत याचिका खारिज by Public Look 24 TeamDecember 16, 2021December 16, 20210531 अतिरिक्त लोक अभियोजक श्री सुनील कुरील द्वारा आपत्ति करने पर मा. अपर सत्र न्याायाधीश श्री आर.के. पाटीदार ने धोखाधड़ी करने वाले आरोपी दिपककांत गुप्ता आयु लगभग 56 वर्ष पिता स्वर्गीय श्री मनीकांत गुप्ता असिस्टेंट मैंनेजर एम.पी.आर.आर.डी.ए.बुरहानपुर की अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त किया। अति. लोक अभियोजक श्री सुनील कुरील ने बताया कि, आरोपी दिपक व अन्य. के विरूद्व 99.61 लाख रूपये का भुगतान काल्पनिक आधारो पर कर शासन को हानि पहुचॉने का आरोप है मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण इन्दौर के मुख्य महा प्रबंधक की सूचना पर से थाना लालबाग में आरोपीगण के विरूध्द अपराध क्रमांक 701/2021 धारा 409, 467, 468, 471 व 120 भा.द.सं. के अंतर्गत विवेचना की जा रही है। आरोपी दिपक ने अन्य आरोपीगण के साथ मिलकर आपराधिक षड़यंत्र कर म.प्र. ग्रामीण सडक विकास प्राधीकरण परियोजना क्रियान्वयन ईकाई बुरहानपुर के पैकेज क्रमांक एम.पी. 4832 के कार्य में योजनाबध्द तरीके से काल्पानिक असत्य माप के आधार पर माप पुस्तिका में फर्जी तरीके ईन्द्रााज किये गये मापो कें संबंध में बीना कार्य के 99.61 लाख रूपये की राशि का भुगतान सडक निर्माण कार्य अनुबंधकर्ता कान्ट्रेक्टर कम्पनी को कर एवं वित्तिय अनियमितता कर शासन को हानि पहुंचाही है।आरोपी ने अधिवक्ता द्वारा मा. न्यायालय के समक्ष अग्रिम जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया जिस पर अतिरिक्त जिला अभियोजक श्री सुनील कुरील द्वारा इस आधार पर आपत्ति ली कि आरोपीगण के द्वारा किया गया अपराध गंभीर स्वयरूप का होकर आजीवन कारावास से दंडनीय है एवं शासन को आर्थिक हानि पहुंचाने संबंधित गंभीर अपराध है। प्रकरण में अभी विवेचना पूर्ण नही हुई है यदि आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाता है तो आरोपी अभियोजन साक्ष्यी के साथ छेडछाड कर सकता है एवं साक्षीगण को डरा धमका सकता है तथा इस प्रकार के अपराधो में वृद्धि होने की संभावना है साथ ही आरोपी के फरार होने की संभावना है।आरोपी के जमानत आवेदन पर अतिरिक्त जिला अभियोजक श्री सुनील कुरील द्वारा वैधानिक आपत्ति ली गयी आपत्ति पर को ध्यान में रखते हुए मा. न्यायालय ने आरोपी का तर्क विश्वास योग्य नहीं माना और आरोपी का अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त किया।