
इस समारोह में निलेश पाटील, शंकरराव उके, डा. वाणे, डा. भिमराव मस्के, श्रीकांत उके, अरुण केळझरे, रामकृष्ण सोनारे कुवरलाल रामटेके, विजय लांजेवार, विलास झोडापे उपस्थित थे। सभा को संबोधित करते हुये प्रो.जोगेन्द्र कवाडे जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि डा बाबासहाब आम्बेडकर जी ने देश को प्रबुध भारत बनाने के लिए यह संपूर्ण देश को तथागत बुध्द के विचारों को अवगत करने का संकल्प लेने का आज दिन है। डा.मोहनलाल पाटील ने अपने उद्बोधन कहा कि देश में बाबासहाब आम्बेडकर एवं तथागत बुध्द के विचारों से दुर होने से देश संकट में है। समता, स्वतंत्रता, बंधृत्व एव न्याय आधारित भारतीय संविधान बदलने के प्रयास को रोकना होंगा। श्री चंद्रबोधी पाटील ने कहा कि बाबासहाब आम्बेडकर की स्थापित संस्था दि बुध्दिस्ट सोसायटी आफ इंडिया में कार्य कर धम्म का कार्य करे।बुध्द के विचार मनुष्य के लिए कल्याणकारी है। कार्यक्रम में बौध्द उपासक एवं उपासिकाये बढ़ी संख्या में उपस्थित थी।
