
बुरहानपुर-ग्राम दसघाट तहसील खकनार निवासी सुखलाल पिता राजाराम के द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री प्रवीण सिंह तथा पुलिस अधीक्षक श्री राहुल कुमार लोढा ने संवेदनशील मामले को गंभीरता पूर्वक त्वरित संज्ञान में लेकर संयुक्त टीम को कार्रवाई करने हेतु निर्देशित किया।
मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए संयुक्त टीम द्वारा प्राप्त निर्देशों के परिपालन में नायाब तहसीलदार श्री रामलाल पगारे के नेतृत्व में महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले में बंधक बनाए गए जिले के मजदूरों को छुड़वाकर पूर्ण सुरक्षा के साथ वापस बुरहानपुर लाया गया।
लगभग 2 माह पूर्व बनाया गया था बंधक
बुरहानपुर वापस लौंटे बंधुवा मजदूरों में महिला, पुरूष एवं छोटे-छोटे बच्चें भी शामिल रहे। जो लगभग प्रातः 10.30 बजे बुरहानपुर पहुँचे। बुरहानपुर पहुँचते ही कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री प्रवीण सिंह ने लौंटें मजदूरों से कुशलक्षेम पूछा तथा उनके स्वास्थ्य को लेकर भी चर्चा की तथा उन्हें अपने घर की ओर रवाना किया। यह मजदूर लगभग पिछले दो माह से सोलापुर महाराष्ट्र में बंधुवा मजदूर के तौर पर कार्य कर रहे थे।
इस संबंध में कलेक्टर श्री सिंह से तीन दिवस पूर्व दसघाट निवासी 55 वर्षीय दंपत्ति ने अपनी शिकायत प्रस्तुत की थी। मामले की गंभीरता को त्वरित संज्ञान में लेते हुए संयुक्त टीम भेजकर बंधक बनाए गए मजदूरों को सकुशल बुरहानपुर लाया गया और उन्हें आज अपने परिवारों से मिलाया गया।
संबंधित के विरूद्ध प्रकरण दर्ज
मामलें को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर श्री सिंह के निर्देशानुसार भारतीय दण्ड विधान की धारा 374 के तहत, थाना खकनार अंतर्गत अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया है। आगे की कार्यवाही पुलिस विभाग द्वारा की जा रही है।
मामला यह है कि मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिण के द्वार बुरहानपुर जिला महाराष्ट्र राज्य से सीमा बनाता है जहां जिले के कई मजदूर काम की तलाश में जाते हैं, जैसा कि आवेदक सुखलाल पिता राजाराम ने बताया कि तहसील खकनार ग्राम दसघाट के 18 मजदूरों को गन्ना कटाई के लिए महाराष्ट्र के टेंभुरणी तहसील मधा, जिला सोलापुर ले जाया गया। यह गतिविधि ग्राम मांजरोद जिला बुरहानपुर निवासी अंकुश तथा अनिल दत्तात्रेय के माध्यम से हुई। ग्राम दसघाट के 18 मजदूरों, शिवा पिता शंकर, कृष्णा पिता रमेश, सीता पिता रमेश, श्रीराम पिता दयासिंग, कंचना पिता श्रीराम, चितू पिता रतन, सुभीबाई पति रतन, मगन पिता भिल्या, रानी पिता तारासिंग, शिवलाल पिता सानू, राजपाल पिता विष्णु, रीना पति राजपाल, तारासिंग पिता हीरासिंग, रामरति पति हीरासिंग, हरीराम पिता बृजलाल, कविता पति हरीराम, नानेश्वर पिता शिवलाल, निशा पति नानेश्वर इत्यादि को पूर्व में ही नगद राशि देकर मजदूरी हेतु ले जाया गया। परंतु वहां उनसे रात-दिन काम लिया जाने लगा और मजदूरी करने गए 18 मजदूरों को बंधक बना लिया गया।
