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Wednesday, Jan 15, 2025
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महिला को बलात्कार की झूठी रिपोर्ट देना पडा महंगा, न्यायालय ने दिया पीडिता को दस साल कारावास

प्रतीकात्मक चित्र

राजगढ। राजगढ जिले में माननीय न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री राघवेन्द्र श्रीवास्तव ने अपने न्यायालय के एक सत्र प्रकरण में झूठी गवाही देने के जुर्म में पीडिता को दस वर्ष के सश्रम कारावास से दण्डित किया गया है।

     घटना इस प्रकार है कि फरियादिया कलाबाई(परिवर्तित नाम) उम्र 38 साल ने दिनांक 8 जून 2008 को थाना जीरापुर में चार आरोपियों द्वारा बलात्संग करने की रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके आधार पर थाना जीरापुर में अपराध क्रमांक 129/08 धारा 376(2)(जी)/506 भादवि की कायमी की गई। अनुसंधान में यह पाया गया कि चार में से दो आरोपी घटना दिनांक से ही फरार है। इस कारण प्रकरण में चालान दो अरोपियों के विरूद्ध न्यायालय पेश किया गया, कमिट उपरांत प्रकरण विशेष न्यायालय एससी एसटी एक्ट में भेजा गया। फरार आरोपियों की सतत तलाश की गई जिनके मिलने पर पूरक अभियोग पत्र न्यायालय प्रस्तुत किया गया। इस प्रकरण में न्यायालय द्वारा पीडिता को तलब कर कथन लिए गए जिसमें उसके द्वारा घटना से पूर्ण रूप से इनकार कर जमीन की मेढ़ के झगड़े की रिपोर्ट करने की बात बताई। जिसे पक्षविरोधी घोषित करने उपरांत अभियोजन द्वारा सूचक प्रश्न किये गये किंतु पीडित द्वारा आरोपीगण द्वारा बलात्कार करने से इंकार किया। 

इस प्रकरण में दिनांक 28.07.2009 को आरोपी रमेश (परिवर्तित नाम) एवं दिनेश (परिवर्तित नाम) के विरूद्ध निर्णय पारित कर आरोपीगण को दोषमुक्त किया गया। प्रकरण में आरोपी राकेश (परिवर्तित नाम) के गिरफ्तार होने के बाद पीडित महिला के दिनांक 17.09.2009 को कथन कराये गये तथा आरोपी अमोल (परिवर्तित नाम) की गिरफ्तारी उपरांत दिनांक 10.02.2010 को पीडित महिला के न्यायालय में पुनः कथन कराये गये। जिसके उपरांत दिनांक 23.09.2009 को आरोपी राकेश (परिवर्तित नाम) को तथा दिनांक 18.02.2010 को आरोपी अमोल (परिवर्तित नाम) को न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किया गया।

 अंतिम निर्णय में कोर्ट ने आदेश किया कि फरियादी कलाबाई(परिवर्तित नाम) ने न्यायालयीन प्रक्रिया का दुरूपयोग कर मिथ्या साक्ष्य दी है इस कारण उसे धारा 195 भादवि में अभियोजित करने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया जाये। 

      इस प्रकरण के विचारण के दौरान न्यायालय में पैरवीकर्ता सरकारी वकील, न्यायालय के क्रिमिनल रीडर, डॉक्टर एवं तत्कालीन विशेष न्यायाधीश, वर्तमान सेवानिवृत जिला जज के कथन कराये गये। 

   आज दिनांक को माननीय न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री राघवेन्द्र श्रीवास्तव राजगढ ने इस प्रकरण में कलाबाई(परिवर्तित नाम) को धारा 195 भादवि में दस वर्ष कठोर कारावास एवं धारा 211 भादवि में 3 वर्ष के कठोर कारावास एवं कुल दो हजार रूपये जुर्माने से दण्डित किया है। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक श्री जेपी शर्मा एवं जिला अभियोजन अधिकारी श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ ने की है।

झूठी गवाही देने का दोषी पाया गयाः-
न्यायालय ने अपने निर्णय में यह पाया कि पीडित महिला ने विशेष न्यायालय के समक्ष मिथ्या साक्ष्य दी थी और उसके द्वारा आरोपीगणों के विरूद्ध झूठी रिपोर्ट थाना जीरापुर में दर्ज कराई गई थी।

पीडिता को न्यायालयीन प्रक्रिया का दुरूपयोग और गरिमा का दोषी पाया गयाः-

न्यायालय ने अपने निर्णय में यह पाया कि पीडित महिला ने विशेष न्यायालय के समक्ष मिथ्या साक्ष्य देकर न केवल न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग किया बल्कि झूठी गवाही देकर न्यायालयीन गरिमा के विरूद्ध भी आचरण प्रदर्शित किया था।

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