
उक्त कार्यशाला में नोडल अधिकारी डॉ इकरामुल हक द्वारा बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल होता है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपनी स्वास्थ्य की परिभाषा में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी शामिल करता है।
मानसिक रोगी हमेशा स्वयं उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है। -अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। -किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है। -अवसाद का रोगी खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है।
मनकछ प्रभारी स्टाफ नर्स श्रीमती सीमा डेविड ने शाला स्टाफ एवँ छात्र छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य पर समाज मे जन जागरूकता लाई जाना है चाहिये , रोगियों की लाइन लिस्ट तैयार कर जांच उपचार किया जाना ही उद्देश्य है। जिसके तहत जिला अस्पताल में आवश्यक मात्रा में औषधि उपलब्ध है। एवँ पर्याप्त प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्ति की गई है। आगामी समय मे फील्ड में भी उक्त कार्यक्रम के सम्बंधित कैम्प लगाए जाने की कार्य योजना विस्तृत रूप से तैयार की जा रही है। ऐसे रोगियो को जिला अस्पताल के मनकक्ष जांच उपचार केंद्र में लाकर परामर्श प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर अंकिता हरिन्दरवार स्टाफ सिस्टर द्वारा सन्देश दिया कि रोगी को उपचार से ज्यादा अपने पन की आवश्यकता होती है , अतः पहले उसकी दशा को समझते हुए काउंसलिंग की जाना ठीक रहता है। इस अवसर पर प्रण लिया गया कि हम छात्र छात्राओं के माध्यम से समाज मे घर घर तक अपनी सेवाएं देंगे एवँ उक्त पंक्ति के अंतिम से अंतिम मनोरोगी को काउंसलिंग कर उपचार करेंगे। सेक्टर सुपरवाइजर विजय सोंनी ने अवगत करवाया की इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज मे जागरूकता का संदेश देने से है। समाज से रोगी बढ़ चढ़ कर झिझक छोड़कर उपचार एवँ काउंसलिंग हेतु आगे आए। अंत मे प्राचार्य श्री रामजी कदम द्वारा विद्यार्थियों को सन्देश दिया गया कि स्वास्थ्य रहने हेतु अपने आचार विचार , खाने सम्बंधित आदतों में परिवर्तन करना होगा।
कार्यशाला का संचालन सेक्टर सुपरवाइजर विजय सोंनी द्वारा किया गया। एवँ आभार मनकछ प्रभारी स्टाफ सिस्टर सिंमा डेविड द्वारा किया गया।
