“झांकी ” शब्द के “ताका -झाकी” शब्द से लियो गयो हे जीके झाकी झाकी के देखे वा झांकी होवे है | तो भिया हमारा मालवा में हर तरा की झांकी की खूब भरमार है अबे झांकी की बात करा तो झांकी जमावा सारु तो हर आदमी अपनी पूरी कोशिस करे | छोरा होंण अपनी झांकी जमावा सारु घनी मेहनत करे खूब जिम में जय के बड़ा बड़ा लोवा का पहिया होन के ऊँचा निचा करे और फिर फूस फुस्या से खूब खुसबू उड़ावे ने फेसबुक पे खुब फोटो होण डाले | फटफटी पे खूब स्टाइल से बैठे | शादी ब्याव में खूब कर्जो ली ली के खर्चो करे और असी झांकी जमावे के जैसे कोई खानदानी रईस का घरे ब्याव हुई रियो होय |घरे भोजी भड़ीका खावे पण बायर देखो तो गाड़ी,कपड़ा की झांकी ऐसा जैसे कोई रियासत का राजकुमार होय और रियासत की तफरी पे आया होय | सरकार से करोडो रुपयों मालवी संस्कृति का नाम पे राजनेता होण दबाई जावे और मालवा की झांकी बाहर का लोग होंन के नचाई के ज़माने की बात करे|
मालवा में झांकी निकलने को रिवाज घनो पुरानो हे इंदौर और उज्जैन में गणेश विसर्जन की झाकी पिछला कई साल से निकली री | यो रिवाज पूरा देश में कई भी नि हे | गणेश जी के बैठावा को रिवाज भी मालवा में जे दस दन को हे नि तो महारास्ट्र और दूसरा भाग में ३ दन में ज विसर्जन हुई जावे है | इंदौर और उज्जैन में मिल वाला लोग पेला झांकी निकलता रिया हे हर कर्मचारी की तनखा में से झांकी का पैसा कटता था और दो महिना पेला से तय्यारी होती थी झांकी बनाने के में नामी गिरामी कलाकार होण लगता था | प्रशासन,बिजलीवाला,अखाड़ा वाला, नगर निगम सब भी दो महिना पेला से तय्यारी करता था | आसपास का २०० -२०० किलो मीटर से लोग एक दन पेला ज आई जाता था और झांकी वाला दन सवेरे से जगा रोकने को काम शुरू हुई जातो थो और फिर पूरी साज सज्जा का साथै निकलती थी झाकी तो सब की आंख खुली की खुल री जाती थी पूरा ३ दन तक शहर में उत्सव को माहोल रेतो थो और खूब आनंद लेता था लोग | गणेश विसर्जन पे एक से एक खुबसूरत झांकी कलाकार लोग बनावे है |जगे जगे मंच पे बड़ा बड़ा लोग बैठी के सम्मान करता था कलाकार होन को और इनाम देता था | आज भी या परमपरा किसी तरे चलीरी है पर अबे वा बात नि री |
एक बार फिर से जरूरत हे एक जन जागरण की के इनी सांस्क्रतिक परंपरा के फिर से एक बड़ा सांस्क्रतिक उत्सव का रूप में प्रचारित करिके पर्यटन और मालवी संस्क्रती का रूप में पूरी दुनिया में प्रचारित करने की जरूरत है | सरकार से करोडो रुपया सांस्कृतिक और मालवा उत्सव का नाम पे लोग होन की जेब में जाई रिया हे उ फण्ड इनी सांस्क्रतिक परंपरा के जीवित रखने में लगाणों चिये |
राजेश भंडारी “बाबु”
Rajesh Bhandari “babu”
104 Mahavir Nagar Indore
9009502734