
नगर परिषद में रावण दहन कार्यक्रम में लाखों के फर्जी बिल लगाए गए है। जिस फर्म नगर में है ही नही उसके बिल लगाए है। फर्म के जो बिल लगाए गए है, वह पंजीकृत नही और ना ही जीएसटी नंबर है। ललित इंजीनियरिंग वक्र्स के नाम से लगाए गए बिल में रामजी की बग्गी पर 18000, रावण की पोषाक पर 19500, रावण का ढांचा तैयार करने में 24500, संपूर्ण कार्यक्रम की फोटोग्राफी पर 4200, अन्य खर्च 8300 व मजदूरी पर 17000 रूपए दर्षाऐ गए है। कुल 91 हजार 500 का बिल फर्म के नाम से लगाया गया है। जबकि यह फर्म नगर में नही है, ना ही कार्यो पर इतना खर्च आता है। जी एस एंड सन्स के नाम से 62800 का बिल लगाया गया है, जिसके प्रोपायटर शुभम श्रीवास है। जबकि ऐसी कोई फर्म है ही नही। पंकज लाईट एवं डेकोरेटर्स का जो बिल गया है, उसमें लाईट व्यवस्था का 44 हजार 450 का बिल है। जिसमें मेटल लाईट का किराया एक लाईट का 400 रूपए कुल 40 लाईट का 16 हजार रूपए बताया गया है। इन बिलो में नपं के माध्यम से बड़ी राषि ऐंठने की योजना है। उन्होने कहा कि यह रावण दहन कार्यक्रम का मैनेजमेंट का कार्य नपं द्वारा एक व्यक्ति को ही देना बताया जा रहा है, जबकि यह कार्यक्रम का मैनेंजमेंट का कार्य विधायक प्रतिनिधि पूनमचंद गुप्ता के पुत्र नितिन गुप्ता देख रहे थे। उन्होने कहा कि विधायक प्रतिनिधि नपं के जलस्त्रोतो का पानी रेल्वे को बेचकर हजारो रूपए की आय अर्जित कर रहे है।
बिल लगाने वालो व अधिकारी पर कराऐंगे एफआईआर
प्रेस कांफ्रेस में कहा कि फर्जी बिल लगाने वाले लोगोे एवं संबंधित अधिकारी पर एफआईआर करायी जाएगी। इसकी षिकायत कर जांच की मांग की गई है। यदि जांच और कार्यवाही नही होती है, तो कांग्रेस इसके लिए आंदोलन करेंगी।