33.3 C
Madhya Pradesh
Friday, Mar 21, 2025
Public Look
शैक्षणिक

सेवा करने वालो की बड़ी जीत, सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी हारी,एनजीओ के कर्मचारियों को शासकीय सेवा में संविलियन करने का सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश

Spread the love

हक और अधिकार पाने के लिए हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक दो साल में तीन याचिकाएं लड़ना पड़ी

इंदौर/नई दिल्ली । (राजेन्द्र के.गुप्ता 9827070242) ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जिन सेवा—भावी एनजीओ कर्मचारियों के द्वारा कुपोषण को रोकने के लिए छोटे बच्चो, गर्भवती महिलाओ, शिशुवती महिलाओ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 1989 से लगातार 30 वर्षो से काम किया जा रहा हो , जिन एनजीओ कर्मचारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चो की स्कूल छोड़ने की प्रवृति को कम करके समाज में शिक्षा के स्तर को बढ़ाया, उन एनजीओ कर्मचारियों को सरकार से अपना हक और अधिकार पाने के लिए हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर कर दिया, आखिर जीत एनजीओ कर्मचारियों की हुई। हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी मध्यप्रदेश शासन को 90 दिन में बाल निकेतन संघ नाम के एनजीओ के सभी कर्मचारियों को शासकीय सेवा में संविलियन करने का आदेश दिया है…

हक के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ना पड़ी लड़ाई, वकीलों ने दिया साथ —

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के विरुद्ध, शासन ने एनजीओ कर्मचारियों को उनका हक नही देने के लिए हाईकोर्ट की डीबी बेंच और सुप्रीम कोर्ट तक अपील दाखिल की, फिर भी जीत एनजीओ कर्मचारियों की हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 31/08/2021 को एनजीओ कर्मचारियों को शासकीय सेवा में संविलियन करने का आदेश मध्यप्रदेश सरकार को दिया है । एडवोकेट सुनील वर्मा और एडवोकेट मंजुला मुकाती ने एनजीओ कर्मचारियों को याचिकाओं के माध्यम से ये बड़ी जीत दिलवाई है । निश्चित ही एनजीओ के कार्यों की वाहवाही सरकार ने ली होगी, किंतु सरकार एनजीओ के कर्मचारियों को हक देने में रोड़े अटकती रही…इस आदेश से सेवा करने वाले अन्य एनजीओ कर्मचारियों के भी शासकीय सेवा में संविलियन किए जाने का रास्ता खोल दिया है….

क्या है मामला —

भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओ, शिशुवती महिलाओ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अर्थात कुपोषण और महिलाओं की बढ़ती मृत्यु दर रोकने के लिए आईसीडीएस स्कीम लागू कर रखी है, इस स्कीम के तहत ही उन ग्रामीण और आदिवासी बच्चों को शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है जो पढ़ाई छोड़ देते है। इस योजना के तहत महिला बाल विकास विभाग मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में काम करता है, किंतु इंदौर में पिछले 30 वर्षो से बाल निकेतन संघ नाम के एनजीओ के कर्मचारी यह सेवा कार्य कार्य कर रहे है । अर्थात महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियो—कर्मचारियों की तरह ही एनजीओ बाल निकेतन के कर्मचारी सेवाएं दे रहे है, किंतु इन्हे शासकीय सेवक की तरह सुविधाएं नही दी जाती है। इस एनजीओ के सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी समस्या हाईकोर्ट एडवोकेट सुनील वर्मा और मंजुला मुकाती की बताई । एडवोकेट वर्मा सुप्रीम कोर्ट में भी लंबे समय तक प्रेक्टिस कर चुके है और सामाजिक कार्यों में भी अच्छी खासी रुचि है, इन्होंने एनजीओ कर्मचारियों की लड़ाई कानूनी रूप से लडने का बीड़ा उठाया और सरकार के समक्ष एनजीओ कर्मचारियों को शासकीय सेवा में संविलियन करने का अभ्यावेदन दिया, जिसे शासन ने निरस्त कर दिया । इसके पश्चात एडवोकेट वर्मा और एडवोकेट मुकाती ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में इंदौर हाईकोर्ट ने एनजीओ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एनजीओ कर्मचारियों को 90 दिन मे शासकीय सेवा में संविलियन करने का आदेश दिया। शासन ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के इस आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट की डीबी बेंच में अपील की, अपील में भी शासन को हार का सामना करना पड़ा, शासन ने डीबी बेंच के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की, सुप्रीम कोर्ट ने भी शासन की याचिका को खारिज करते हुए एनजीओ कर्मचारियों की शासकीय सेवा में संविलियन करने का आदेश शासन को दिया है ।

सरकार से अपना हक पाने के लिए इतनी याचिकाएं लड़ना पड़ी —

01 — एडवोकेट सुनील वर्मा और एडवोकेट मंजुला मुकाती ने एनजीओ कर्मचारियों की तरफ से 19/03/2019 को प्रथम याचिका हाईकोर्ट के समक्ष पेश की, जिसे जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा 28/02/2020 को याचिका मंजूर करके एनजीओ कर्मचारियों को 90 दिन में शासकीय सेवा में संविलियन करने का आदेश दिया।

02— 21/09/2020 को शासन ने रिट अपील प्रस्तुत की, जिसे जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की युगल खड़पीठ द्वारा 19/11/2020 को निरस्त कर दिया।

03— शासन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सात विशेष अनुमति याचिका प्रस्तुत की जिन्हे सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 31/08/2021 को निरस्त कर दिया। एनजीओ कर्मचारियों के द्वारा एडवोकेट सुनील वर्मा और एडवोकेट मंजुला मुकाती के माध्यम से लड़ी हक और अधिकार की इस लड़ाई में हमने भी कलम के माध्यम से लगातार सहयोग और प्रोत्साहन दिया।

Related posts

विधायक सुरेन्द्र सिंह ठाकुर की उपस्थिति में आज से 15 से 18 वर्ष के बच्चों टीकाकरण कार्यक्रम का आशा निकेतन विद्यालय में हुआ शुभारंभ

Public Look 24 Team

नहर परियोजनाओं को लेकर पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने उच्चाधिकारियों से मुलाकात कर की चर्चा

Public Look 24 Team

इंदौर फिल्म महोत्सव में दिखाई देगी भोली बेन

Public Look 24 Team