बादल अमृत सा जल भरकर करते वर्षा भारी…!
संरक्षित कर ले हम सब इसको हमारी जिम्मेदारी…..!!
बिना गंध का बिना स्वाद का पानी रंगहीन है….!
पानी के कारण ही फिर भी हमारी पृथ्वी रंगीन है…..!!
वृक्ष लगाएं और बढ़ाएं संरक्षण जीवन भर….!
खड़े धरा पर सीना ताने बढ़ा रहे जल स्तर……!!
सबकी पृथ्वी सबका जल है यह जिम्मेदारी समझाना है…!
शावर से पानी बहता है बाल्टी से नहाना है….!!
समय से मोटर बंद करो पानी न बहाओ….!
पानी से ही बिजली बनती पानी को बचाओ…..!!
पानी की उपलब्धता से हम संरक्षण भूले…!
कहां आएगा सावन फिर कहां पड़ेंगे झूले……!!
गिर रहा नित जलस्तर तालाब कुएं भी प्यासे….!
पशु पक्षी नर वानर प्यासे पानी कहां तलाशें….!!
पानी बचाएं वृक्ष लगाएं करें वृहद संरक्षण….!
आगत काल में हरा भरा हो हमारा भारत उपवन…….!!
………………………✍🏻 अंकित शुक्ला