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Saturday, Sep 21, 2024
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नकली दूध से कैसे “दूधों नहाओ, पूतों फलो” का आशीर्वाद फलित होगा?

राजगढ़ जिले में नकली दूध के कारोबार की खबरें दैनिक समाचार पत्रों में अक्सर प्रकाशित होती रहती है। हाल ही में खिलचीपुर तहसील में मिलावटी दूध के कारोबार की खबरें आई।
इसके पूर्व भी राजगढ़ शहर सहित जिले में कई स्थानों पर नकली दूध पकड़ा गया और प्रशासन द्वारा कार्यवाही भी की गयी किन्तु इन मौत के सौदागरों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और जिले में कैमिकल युक्त विषाक्त दूध बनाने तथा उसे बेचने का कारोबार लगातार फल-फूल रहा हैं।
दूध एक ऐसा पदार्थ जिसे समाज का हर वर्ग चाहे वह गरीब हो या अमीर किसी न किसी रूप में सेवन अवश्य करता है। सुबह उठते ही लोगों की दिनचर्या चाय, कॉफी या दूध के सेवन से ही होती है। बच्चे हो या बुजुर्ग, स्वस्थ हो या बीमार दूध हम सभी के जीवन का आवश्यक अंग है।
नकली दूध के कारोबारियों द्वारा इसे बनाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री में यूरिया और डिटर्जेंट जैसे घातक रसायन जब्त हो रहे हैं जो हमारे शरीर मे जा रहे हैं।
हाल ही में हुए एक सर्वे में राजगढ़ जिले में कैंसर के रोगियों की संख्या सर्वाधिक पायी गयी है। यहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की आबादी में अधिकांश लोग हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, किडनी, तथा पेट के गंभीर जानलेवा रोगों से ग्रसित है। कई लोगों का इन गम्भीर बीमारियों का निरन्तर उपचार भी चल रहा है। इसमें कोई संदेह नही है कि इन सभी बीमारियों के पीछे कहीं न कहीं नकली खाद्यपदार्थ बड़ा कारण है।
देश में आज मिलावट सामान्य बात हो गई है। कोई भी वस्तु उसकी उचित कीमत अदा करने के बाद भी शुद्ध रूप में मिलने की कोई ग्यारंटी नही है। प्रत्येक वस्तु में किसी न किसी वस्तु की मिलावट पाई जाती है। एक कहावत है कि एक व्यक्ति आत्महत्या के उद्देश्य से बाजार से जहर ले आया। जहर खाने के बाद वह मरा नहीं क्योंकि जहर भी नकली था।
फिर बीमारी के इलाज के लिए दवाएँ लाया। दवा खाकर वह मर गया, क्योंकि दवाएँ नकली थीं। यह कहानी मिलावटी और नकली माल के बाजार में भरे होने को प्रमाणित करती है।
कम समय में धनवान बनने की चाह और प्रशासन का भय नहीं होने के साथ ही कानून की शिथिलता ही इस प्रकार के अपराध में वृद्धि का मुख्य कारण है।
एक समय था, जब दूधों नहाओ, पूतों फलों का आशीर्वाद दिया जाता था। तब दूध भी शुद्ध था और बच्चे भी उसे पीकर खूब फलते फूलते थे। आज या तो नकली दूध ने संतानों को निकम्मा और निकृष्ट बना दिया है या फिर निकृष्ट संताने नकली वस्तुओं के कारोबार में लग गई है। अब दूधों नहाओ, पूतों फलों का आशीर्वाद कैसे फलित होगा?
यह एक गंभीर मसला है। सरकार ऐसे अपराधों में कठोर कानून बनाये। प्रशासन को चाहिये कि वह गोपनीय रूप से निरन्तर खाद्य पदार्थों के प्रतिष्ठानों और दूध डेयरीयों की सेंपलिंग करे और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध बिना किसी राजनीतिक दबाव में आकर आपराधिक मामले पंजीबद्ध करवाये जिससे ऐसे अपराधियों में भय व्याप्त हो। जनता को भी सजग होने और इस बुराई का डटकर विरोध करने की आवश्यकता है। ऐसे अपराधियों को शासन, प्रशासन, न्यायिक संस्थाओ और समाज से कठोर दंड का भय होना चाहिये। तभी हमारे बुजुर्गों का “दूधों नहाओ, पूतों फलो” का आशीर्वाद सफल होगा।
लेखक
जे.पी.शर्मा
लोकअभियोजक
राजगढ़।

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