जिला लोक अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक श्री कैलाशनाथ गौतम द्वारा अभियोजित प्रकरण में श्री तपेश कुमार दुबे, प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, जिला बुरहानपुर द्वारा आरोपीगण धमेन्द्र पिता आशाराम, उम्र 33 वर्ष एवं आशाराम पिता प्यारा भील, उम्र 50 वर्ष दोनो निवासी ग्राम सागफाटा, नेपानगर, जिला बुरहानपुर को आजीवन कारावास एवं 2500 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया ।
प्रकरण की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुये पैरवीकर्ता जिला लोक अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक श्री कैलाशनाथ गौतम ने बताया की दिनांक 24-09-2018 को आरक्षी केन्द्र नेपानगर में सूचनाकर्ता आशाराम ने थाने आकर अपनी बहु सुमित्रा की मृत्यु की सूचना दी एवं बताया कि उसके दूसरे नंबर का लडका धर्मेंद्र मजदूरी करता और उसकी शादी डोंगरगांव, जिला खण्डवा में हुई थी तथा उसका लडका धर्मेन्द्र पत्नी सुमित्रा के साथ अलग रहता है। सुबह करीब 05.00 बजे धर्मेंद्र ने आकर उसे बताया कि पापा, सुमित्रा ने दबा पी ली है तब अन्य लडके जितेन्द्र , राजेश, सुनिल, उसकी पत्नी उमा गये तथा देखा की सुमित्रा हिचकिया मार रही थी, वहां कीटनाशक दवाई की बॉटल पडी थी तथा फिर जीप से बहु सुमित्रा को खण्डवा अस्पताल ले जाते समय ग्राम डोंगरगांव के पास उसकी मृत्यु हो गयी जिसे वापस घर ले आये, बहु सुमित्रा की लाश घर पर रखी है तथा उसे नहीं मालूम की बहु सुमित्रा ने जहर क्यों पिया। आशाराम की सूचना पर से थाना नेपानगर द्वारा मर्ग क्र. 53/2018 कायम कर जांच प्रारंभ की एवं जांच तथा पीएम रिपोर्ट में यह पाया गया कि आरोपीगण द्वारा मृतिका सुमित्रा बाई कि गला दबाकर हत्या की गयी है तथा उनके द्वारा साक्ष्य छुपाकर यह बताया गया है कि मृतिका ने कीटनाशक दवाई पी है इस प्रकार सम्पूर्ण जांच एवं विवेचना उपरांत आरोपीगण के विरूद्ध धारा 302/34, 304बी, 498ए, 120बी, 201 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
प्रकरण में सफलतापूर्वक पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक श्री कैलाशनाथ गौतम द्वारा करते हुए विचारण उपरांत माननीय न्यानयालय से पत्नी की हत्या के आरोपी पति धर्मेन्द्र को धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड , धारा 498ए भादवि में 2 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपये अर्थदंड, धारा 201 भादवि 2 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपये अर्थदण्ड एवं अन्य आरोपी आशाराम को धारा 201 भादवि के अपराध में 2 वर्ष का कारावास एवं 500 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित कराया।
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