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Saturday, Sep 21, 2024
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वन्यजीव प्राणियों की अंतर्राष्ट्रीय तस्करों को 07-07 वर्ष की कठोर सजा,

दुर्लभ वन्य प्राणी लालतिलकधारी कछुओं एवं पैंगोलिन के शल्क की करते थे तस्करी

वन्य प्राणियों का विदेषों में यौनवर्धक दवाईयां बनाने में होता था उपयोग

सागर। लालतिलकधारी कछुओं एवं पैंगोलिन के शल्क की अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय तस्करी के बहुचर्चित मामले में विभिन्न राज्यों के कुल 13 आरोपीगण को आज दिनांक 19.07.2021 को माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सागर विवेक पाठक के न्यायालय द्वारा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न धाराओं में 07-07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड से दंडित किया गया।

घटना का संक्षिप्त विवरणः- जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा एवं सह मीडिया प्रभारी अमित जैन ने बताया कि वन विभाग की राज्य स्तरीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल को गुप्त सूचना तंत्र से यह जानकारी प्राप्त हुई कि वृहद स्तर पर वन्यजीव लालतिलकधारी कछुएं एवं पैंगोलिन के शल्क की तस्करी अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठित गिरोह बनाकर की जा रही है। गुप्त सुचना तंत्र से यह जानकारी भी प्राप्त हुई कि चंबल नदी तथा देवरी ईको सेंटर से लालतिलकधारी कछुऐ निकाल कर उनकी तस्करी की जा रही है। उक्त जानकारी प्राप्त होने पर राज्य स्तरीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल द्वारा क्षेत्रीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स सागर के साथ मिलकर एक संयुक्त दल कर गठन किया गया तथा सर्वप्रथम दिनांक 05.05.2017 को ग्राम मौगियापुरा वन परिक्षेत्र सबलगढ़ में संयुक्त टीम द्वारा प्रकरण के मृत आरोपी नन्दलाल के घर पर दविश दी गयी जहां पर संयुक्त टीम को वन्यप्राणी पैंगोलिन के शल्क प्राप्त हुए तथा टीम द्वारा वन अपराध प्रकरण क्रमांक 28060/02 दिनांक 05.05.2017 दर्ज कर जांच प्रारंभ की गयी। जांच के दौरान वन्यजीव लालतिलकधारी कछुए तथा पैंगोलिन शल्क की तस्करी से जुडे अन्य आरोपीगणों की संलिप्तता का खुलासा हुआ जिनमें तस्करी के मुख्य सरगना मन्नीवन्नन मुरूगेशन निवासी चेन्नई, थमीम अंसारी निवासी चेन्नई, मो. इरफान, तपस बसाक, सुशीलदास उर्फ खोखा, मो. इकरार निवासी कोलकाता, अजय सिंह निवासी आगरा, आजाद, रामसिंह उर्फ भोला, संपतिया बाथम, कमल बाथम, विजय गौड़ एवं कैलाशी उर्फ चच्चा निवासी मुरैना म.प्र. के नामों का खुलासा हुआ। जांच में यह भी पाया गया कि मध्यप्रदेश में निवासरत आरोपीगणों से अलग-अलग मात्रा में लालतिलकधारी कछुऐ एवं पैंगोलिन शल्क का एकत्रीकरण कर आरोपी अजय निवासी आगरा वन्यजीवों को अलग-अलग माध्यमों से चेन्नई निवासी थमीम अंसारी एवं मो. इरफान निवासी कलकत्ता को भेजे जाते थे। आरोपी मो. इरफान जोकि संगठित गिरोह के मुख्य सरगना मन्नीवन्नन मुरूगेशन का ऐजेंट था वह कलकत्ता के वनगांव स्थित बांगलादेश बार्डर के माध्यम से वन्यजीवों को म्यांमार के रास्ते मलेशिया, सिंगापुर, बैंकाॅक आदि देशों में सप्लाई का काम करता था तथा बाहर विदेशों में डीलिंग का काम आरोपी मन्नीवन्नन द्वारा किया जाता था। इसीप्रकार जब वन्यजीव एकत्र कर आरोपी अजय निवासी आगरा द्वारा आरोपी थमीम अंसारी निवासी चेन्नई के पास भेजे जाते थे फिर वहां से जलमार्ग से श्रीलंका के रास्ते उन्हे विदेशों में भारी कीमतों पर बेचते थे। राज्य स्तरीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल एवं क्षेत्रीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स सागर की संयुक्त टीम ने जांच उपरांत 14 आरोपीगणों के विरूद्ध परिवाद पत्र माननीय न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सागर के समक्ष प्रस्तुत किया तथा 11 भारतीय आरोपी तथा 10 विदेशी आरोपीगण प्रकरण में फरार है।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए माननीय संचालक महोदय, भोपाल द्वारा सागर जिले में पूर्व में पदस्थ रही अभियोजन अधिकारी श्रीमती सुधाविजय सिंह भदौरिया को उक्त प्रकरण का प्रभारी अभियोजक नियुक्त किया गया तथा प्रकरण में पूर्व से शासन का पक्ष रख रहे अभियोजन अधिकारी बृजेश दीक्षित एवं दिनेश सिंह चन्देल को प्रभारी अभियोजक के साथ प्रकरण में शासन का पक्ष मजबूती से रखने हेतु निर्देशित किया गया। प्रकरण में विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा कुल 27 साक्षियों को न्यायालय के समक्ष परीक्षित कराया गया। जिनमें आरोपीगण के आपस में लेन-देन के संबंध में बैंक अधिकारी तथा एफ.एस.एल. के अधिकारी शामिल रहे। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 13 दिन तक अंतिम तर्क प्रस्तुत किये गये जिनमें माननीय उच्च/ उच्चतम न्यायालय के न्याय दृष्टांतों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में आये साक्ष्य एवं अभियोजन के तर्काें से सहमत होकर न्यायालय द्वारा आरोपी मन्नीवन्नन मुरूगेशन निवासी चेन्नई को धारा 51(1)क वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 05 लाख के अर्थदण्ड, आरोपीगण थमीम अंसारी निवासी चेन्नई, तपस बसाक, सुशीलदास उर्फ खोखा, मो. इरफान, मो. इकरार निवासी कोलकाता, रामसिंह उर्फ भोला, अजय सिंह निवासी आगरा, को धारा 51(1)क वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में दोषी पाते हुए सभी अरोपीगण को पृथक-पृथक 07-07 वर्ष के सश्रम कारावास एवं पचास -पचास हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया, आरोपीगण आजाद, संपतिया बाथम, कमल बाथम, विजय गौड़, कैलाशी उर्फ चच्चा को धारा 51(1)क वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में 07-07 वर्ष सश्रम कारावास एवं 20,000-20,000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।
गौरतलब है कि प्रकरण के कुछ आरोपीगण काफी रसूखदार एवं संपन्न होने के कारण बार-बार जमानत याचिका माननीय उच्च न्यायालय तथा माननीय उच्चतम न्यायालय में लगा रहे थे किन्तु माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आरोपीगण की जमानत लगातार निरस्त की गयी तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी आरोपीगण को जमानत का लाभ नही दिया गया साथ ही माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्देश दिया गया कि प्रकरण का निराकरण शीघ्रता से सीमित समयावधि में किया जावे। उक्त निर्देश के परिपालन में अभियोजन द्वारा प्रकरण के साक्षियों को त्वरित गति से न्यायालय के समक्ष उपस्थित कर परीक्षित कराया गया। जिस कारण माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप सीमित समयावधि में प्रकरण का अंतिम निराकरण संभव हो पाया।

वन्य जीव ईको सिस्टम एवं पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक है इस कारण से एवं प्रकरण के अंतर्राष्ट्रीय तस्कारों से संबंधित होने के कारण संचालक लोक अभियोजन/महानिदेशक अन्वेश मंगलम (भा.पु.से.) द्वारा प्रकरण की सतत समीक्षा की जा रही थी एवं समय-समय पर महत्वपूर्ण निर्देश दिये जा रहे थे।

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