
आनंद की प्राप्ती करना है तो उत्सव मनाऐं।
भगवान के दूर होने से दुख नजदीक आते है।
संत की आज्ञा के अनुसार सभी कार्य सिद्ध हो जाते है।
501 लीटर दूध, फलों के ज्यूस और केसर का भगवान के वंशज ने भगवान का किया दुग्ध अभिषेक।
5 नदीयों और समुद्र के जल से हुआ जलाभिषेक।
बहनों के मंदिर का हुआ लोकार्पण, बहनों में उत्साह।
घनश्याम भुवन का हुआ लोकार्पण।
म्ंदिर ट्रस्टी सोमेश्वर मर्चेंट का विशाल कैक काट कर संतों ने मनाया 75वा जन्मोत्सव।
बुरहानपुर के सिलमपुरा स्थित स्वामिनारायण मंदिर में 150 वे सार्घ शताब्दी महोत्सव के पांचवे दिन के महोत्सव की शुरूआत भगवान के दुग्ध अभिषेक से हुआ जिसमें देशभर से पधारे संतों और भगवान स्वामिनारायण के वंशज और 9वें गादीपति प.पू.ध.धू. 1008 आचार्यश्री राकेश प्रसाददासजी ने 501 लीटर दूध और फलों के ज्यूस, केसर, शहद, शक्कर आदि से किया जलाभिषेक इस जलाभिषेक के लिए ताप्ती, गंगा, गोदावरी, यमुना और शिप्रा जैसी 5 नदीयों के जल और मुंबई से लाए हुए समुद्र के जल से किया गया श्रीजी का जलाभिषेक जिसके लिए प्रातः 5.30 बजे से ही भक्तों का तांता लगने लगा करीब 8 बजे तक जलाभिषेक चलता रहा, उसके पश्चात व्यासपीठ पर विराजित शास्त्री सत्यप्रकाशदासजी ने कहा कि भगवान पाप को नहीं बल्कि भक्तों के द्वारा किए गए पुण्य को ही देखते है यानि भगवान केवल हमारे गुणों को ही देखते है, जबकि पुरूष अवगुणों से भरा हुआ हैं, फिर भी भगवान हमारें अवगुणों को देखकर भी माफ करता हैं भगवान की सेवा या भगवान के साथ हमारा नाम जडने से ही हमारा मान बढ जाता हैं, भगवान दयालू होते है भगवान की भक्ति से व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है अर्थात भक्ति से मुक्ति संभव हैं यदि हमारे जीवन में आनंद को पाना हैं तो उत्सव करना जरूरी हैं किसी ना किसी निमीत्त उत्सव करते हैं तो आनंद मिलता हैं, जिसे हम परमानंद करते है, यदि हम भगवान को हमारे दिल में बसा कर रखते है तो भगवान हमारे नजदीक होते हैं और यदि हम भगवान को हमारे दिल से दूर करते हैं तो दुख नजदीक आते है जिस तरह पांडवों ने भगवान को अपने साथ रखा तो पांडवों की कोई हानि नहीं हुई लेकिन कौरवों ने भगवान को साथ नहीं रखा तो सभी समाप्त हो गए, यदि संत की आज्ञा के अनुसार हम कोई भी कार्य करते हैं तो वह कार्य सिद्ध हो जाते है, वहीं आचार्यश्री के हस्ते बहनों का विशाल मंदिर का लोकार्पण भी आचार्यश्री और उपस्थित संतों ने किया इस बहनों के मंदिर में कोई भी पुरूष का पंहुचना वर्जित होता है, यह देशभर के सभी बडे मंदिरों के साथ सांख्य योगी बहनों ‘‘तपस्वीयों’’ के लिए अलग से मंदिर होता हैं यहां दिवारों पर भगवान की लीलाऐं भी अंकित की गई हैं अब महिलाओं में इस मंदिर में अलग से जप तप करने के लिए व्यवस्थाऐं हैं जिससे महिलाओं में विशेष हर्ष भी है वहीं विशाल हाॅल और यात्रीक भुवन के साथ घनश्याम भुवन का लोकार्पण भी किया तत्पश्चात मंदिर ट्रस्टी सोमेश्वर मर्चेंट का 75वां जन्मोत्सव कैक काटकर संतों ने मनाया तत्पश्चात भगवान स्वामिनारायण की परंपरा के अनुसार 56 भोग और शाकोत्सव भी मनाया गया।
