संस्कृतभारती द्वारा ब्रह्मपुर जनपद का संस्कृत जनपद सम्मेलन नगर के महाजनापेठ स्थित बाल विनय मंदिर विद्यालय में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ द्वीप प्रज्वलन और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ श्रीमती वर्षा मालव द्वारा सरस्वती वंदना और एकल गीत की प्रस्तुति दी गई अतिथि परिचय संस्कृतभारती के जिला मंत्रि श्री अनिल सोनवणे द्वारा दिया गया।
अतिथियों का स्वागत श्री मुकेश बोदड़े अमोल ठाकुर तथा श्रीमती वर्षा मालव द्वारा किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त संस्कृत शिक्षिका श्रीमती विदुला द्विवेदी और प्रमुख वक्ता के रूप में संस्कृतभारती प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य श्री मथुरालाल दांगोडे थे।
श्री दांगोडे ने अपने उद्बोधन में बताया कि संस्कृत के बिना संस्कारों एवं संस्कृति की कल्पना केवल शब्दविलास है। संस्कृत से ही संस्कारों एवं संस्कृति का पोषण होता है।
संस्कृत के बिना संस्कृति कुपोषित ही रहेगी।
आपने बताया कि हमे एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत संस्कृत अत्यंत क्लिष्ट एवं कठीन है के साथ-साथ संस्कृत तो मृतभाषा है केवल कर्मकांड की भाषा है ऐसा बताकर संस्कृत के प्रति हमारे मन में एक हीनग्रंथि का निर्माण किया गया। जबकी वास्तविकता है कि संस्कृत विज्ञान की भाषा है, गणित की भाषा है, आयुर्वेद की भाषा है, खगोल की भाषा है। विश्व की श्रेष्ठतम ज्ञाननिधि संस्कृत में ही है। साथ ही संस्कृत अन्य भाषाओ की तुलना में अत्यन्त सरल एवं मधुर है।
कोई भी व्यक्ति 2 घंटे प्रतिदिन संस्कृत संभाषण कक्षा में सीखकर केवल 10 दिनों में संस्कृत बोलना सीख सकता है विद्यालय में भी इसका व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए
संपूर्ण वर्ष का वृत्त कथन जनपद अध्यक्ष श्री स्वप्निल माधवपुरकर द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन विकासखंड संयोजक श्री हीरालाल प्रजापति तथा आभार नगर संयोजक श्री पवन जाधव द्वारा किया गया
इस अवसर पर संस्कृत भारती के समस्त कार्यकर्ता एवं जिले के संस्कृतानुरागी उपस्थित थे