बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी) बुरहानपुर की साहित्यिक सामाजिक संस्था दारूस सुरूर एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी की स्थापना के 7 वर्ष पूर्ण होने पर सोसायटी की जानिब से रोज़ा इफ्तार पार्टी का इंतेज़ाम किया गया। जिस में बुरहानपुर में सामाजिक,शैक्षणिक,धार्मिक क्षेत्र में काम करने वाली चुनिंदा शख्सियत को आमंत्रित किया गया। हाज़िरीन ए मजलिस के सामने संस्था के प्रमुख संचालक तनवीर रज़ा बरकाती ने अपनी संस्था के उद्देश्य और आगामी कार्य योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बुरहानपुर में एक किताब मेले का आयोजन आगामी माह में किया जाना प्रस्तावित है। एक नई लायबेरी की स्थापना के साथ हमारे ज़िले के तुलबा ( विद्यार्थी) के मुस्तकबिल(भविष्य) जैसे मुद्दे पर गौर वा फिक्र किया गया। इस मौके पर पीरे तरीकत हजरत मौलाना अहमद अशरफ अशरफी, उस्ताद शायर एवं बुनकर रहनुमा जमील असगर,प्रख्यात शायर, आलोचक, चिंतक एवं प्राचार्य ताहिर नक्काश, सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षक अकरम ज़िया अंसारी, सामाजिक कार्यकर्तागणों में अब्दुल वहीद बाबू काका, रईस अहमद अंसारी सरपंच, शायर नईम नवाज़, पत्रकार एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ता नौशाद अली अंसारी, युवा सामाजिक कार्यकर्ता ऊज़ैर नक्काश अंसारी, अधिवक्ता एहतेशाम आतिफ, पत्रकार फैजान अंसारी सहित बरकाती टीम और संस्था के अनेक सदस्यों और पदाधिकारियों ने शिरकत की। युवा सामाजिक कार्यकर्ता ऊज़ैर नक्काश अंसारी ने इस आयोजन पर क्या प्रतिक्रिया दी।। तनवीर रज़ा बरकाती की दारूस सुरुर एजुकेशन सोसायटी की तासीस को सात साल मुकम्मल होने पर मुबारक बाद। एक गरीब घर का लड़का जिसने न जाने कितनी कठिनाइयों से पढ़ाई की। आज उसकी सोच है की जो परेशानियां उसे हुई और किसी को न हो। शायद ग्रुप मेंबरान नही जानते हैं। मगर जो काम आज बुरहानपुर में तनवीर रज़ा बरकाती और उसकी टीम उर्दू अदब के अलावा एजुकेशन में काम कर रही है, वो सराहनीय है। कई पुरानी और ना मुकम्मल किताबो को छपवाना, फारसी से उर्दू में ट्रांसलेट करवाना,जैसे काम वो कर रहे है और न सिर्फ एजुकेशन में इसके अलावा कल्चरल प्रोग्राम में भी एक्टिव हैं। उनके सोच और प्रोग्राम जो की एक किताब मेला लगाना, लाइब्रेरी बनवाना और भी बहोत कुछ। खैर अल्लाह बेहतर जनता है। बस कुछ ऐसी सोच के लोग और आजाएं तो हमारी कौम में से जाहिलियत खत्म हो जाए और अल्लाह हमें इल्म हासिल करने की तौफीक अता फरमाए। बुग्ज और कीना दूर करे। आमीन।
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