बुरहानपुर। देवर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य पर विश्व संवाद केंद्र द्वारा नगर में श्री गणेश स्कूल के सभाकक्ष में एक गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। उपस्थित अतिथियों द्वारा देवर्षि नारद जी व मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार, उपन्यासकार लेखक संतोष सिंह जी परिहार,अतिथि के रूप में समाजसेवी चिकित्सक सुभाष जी माने उपस्थित थे। अध्यक्षता संपादक,कवि इतिहासकार घनश्याम जी मालवीय ने की।
मुख्य वक्ता संतोष जी परिहार ने अपने उद्बोधन में पत्रकारिता क्षेत्र के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से वर्णन किया। साथ ही इस क्षेत्र के वर्तमान और भविष्य के बारे में भी विस्तार से सभी को अवगत कराते हुए देव ऋषि नारद जी के जीवन का परिचय वर्तमान पत्रकारिता में महत्वपूर्ण है को भी बताया।
देवर्षि नारद जी की पत्रकारिता समाज के लिए हितकारी व दुष्टों का संहार करने वाली थी। नारद जी की पत्रकारिता अध्यात्म पर आधारित थी। उन्होंने स्वार्थ, लोभ, एवं माया के स्थान पर परमार्थ को श्रेष्ठ माना। महान विपत्तियों से मानवता की रक्षा का काम किया।
कार्यक्रम के अतिथि सुभाष माने ने अपने उद्बोधन में कहा कि धरती पर और परलोक में सर्वप्रथम संचार करने का श्रेय नारद मुनि को ही जाता है। उन्हें सृष्टि का पहला संवाददाता कहा जाता है। जो अपना काम एक पत्रकार के रुप में पूरी लगन, ईमानदारी के साथ संपूर्ण करते थे|
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ संपादक इतिहासकार घनश्याम जी मालवीय ने कहा कि अपने जिले में ताप्ती तट नावथा (नेपानगर) महर्षि नारदजी की तपस्थली रही है इसलिए इस ग्राम का नाम उनके नाम से नावथा है|
देवर्षि नारद उन्हें भारतीय जनसंचार का पितामह कहा जाता है। अपनी वीणा की मधुर तान पर भगवद्गुणों का गान करते हुए तीनों लोकों में निरंतर विचरण करने वाले नारद मुनि सब जगह की पल- पल की खबर रखते थे। वे देव, दानव और मानव सबके विश्वासपात्र थे और सभी के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान बिना किसी स्वार्थ के लोकहित को ध्यान में रखकर किया करते थे। ‘‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’’ उनका प्रमुख ध्येय है और लोकहित में सूचनाओं का संग्रह एवं आवश्यकतानुसार उनका संप्रेषण उनका मुख्य कार्य। पर वे मात्र सूचनाओं का प्रसारण ही नहीं करते बल्कि दुःखी एवं दरिद्र प्राणियों के दुःखों का निवारण भी करते हैं।
अतिथि परिचय विनोद जी जंजालकर ने दिया और कार्यक्रम की भूमिका निलेश माहुलीकर ने रखी तथा आभार विजय महाजन ने माना।