
सद्गुरु श्री अनिरुध्द बापू द्वारा बताए अनुसार, यह प्रपत्ति करने वाली स्त्रियाँ आदिमाता चंडिका की सैनिक बन जाती है।
यह पूजन स्वयं के घर की रक्षा , अपने आप्तो (सगे-संबंधी) की सुरक्षा हेतु किया जाता है।
वह अबला नही होगी, ना ही रहेगी। वह दुर्बल नही रहेगी। वह स्वयं के घर की रक्षण करने मे स्वयं समर्थ बनती है।
आज ही के दिन आदिमाता चंडिका का पृथ्वी पर पहला कदम शाम के समय गोधुली बेला पर कतराज आश्रम मे रखा था। इसी का पूजन स्त्रियो ने किया।
इस अवसर पर बुरहानपुर केंद्र से श्री अनंतरावसिंह साकलकर, श्री मोहनसिंह सावल्देकर, खामनी केंद्र से श्री कैलाशसिंह सिसोदियाँ आदि उपस्थित थे। यह जानकारी ईच्छापुर केंद्र के प्रमुख श्री बाबारावसिंह देशमुख, श्री अविनाशसिंह देशमुख के द्वारा दि गयी।