सद्गुरु श्री अनिरुध्द बापू द्वारा बताए अनुसार, यह प्रपत्ति करने वाली स्त्रियाँ आदिमाता चंडिका की सैनिक बन जाती है।
यह पूजन स्वयं के घर की रक्षा , अपने आप्तो (सगे-संबंधी) की सुरक्षा हेतु किया जाता है।
वह अबला नही होगी, ना ही रहेगी। वह दुर्बल नही रहेगी। वह स्वयं के घर की रक्षण करने मे स्वयं समर्थ बनती है।
आज ही के दिन आदिमाता चंडिका का पृथ्वी पर पहला कदम शाम के समय गोधुली बेला पर कतराज आश्रम मे रखा था। इसी का पूजन स्त्रियो ने किया।
कार्यक्रम शामकांत चापोरकर के घरपर हुआ। जैनाबाद से नंदूभाई ने आकर श्री मंगल चंडिका प्रपत्ति के बारे में सविस्तार भक्तों को जानकारी दी। इस अवसर पर चापोरा से डाँ. दिपक चापोरकर, सूधीर अत्रे, गणेश महाले, प्रकाश चौधरी , योगेश भाकरे, बंडू चौधरी और श्रद्धावान उपस्थित थे
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