बुरहानपुर के स्वामिनारायण मंदिर में अधिक पुरुषोत्तम मास के आखिरी अंतिम दिन भक्तों का ताता लग गया, सुबह में भक्तों ने अपने अपने घरों से दूध लेकर पहुंचे और करीब 501 लीटर दूध का दुग्ध अभिषेक के साथ पंच नदियों का जल, फलों के ज्यूस शक्कर ,हल्दी, केसर से हुआ जलाभिषेक, जिसमें वड़ताल से प्रसिद्ध वक्ता और कथा वाचक सरजूदास जी शास्त्री भी अभिषेक का लाभ लेने पहुंचे ,तत्पश्चात रजोपचार से फूलों की पंखुड़ियां से भगवान लक्ष्मीनारायण देव, हरीकृष्ण महाराज का फूल अभिषेक किया, गया जिसे सारे भक्तों ने वंदू के पदों के साथ गाकर संपन्न कराया, तो वही अधिक पुरुषोत्तम मास के अंतिम दिन ऐसा लग रहा था मानो श्रावण में भादो आ गया हो यानी फूलों की होली ,खेल कर उत्सव मनाया जिस तरह से फाग उत्सव होता है उसी प्रकार आज अधिक मास के अंतिम दिन यहां फूलों से होली खेली जिसमें संतों ने भक्तों पर पुष्प वर्षा की, मंदिर कोठारी महंत स्वामी ने कहा कि अधिक पुरुषोत्तम मास का यहां अंतिम दिन नहीं बल्कि आने वाले पुरुषोत्तम मास का पहला दिन प्रतीत हो रहा है ,वही वड़ताल से शास्त्री सरजू दास जी ने इस पवित्र अधिक मास में दान पुण्य का महत्व बताया
मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि व्यास पीठ पर विराजित शास्त्री सद्गुरु संत राजेंद्र प्रसाद दास जी का पूजन किया गया और कथा के अंतिम दिन शास्त्री राजेंद्र प्रसाद दास जी ने कहा कि
भगवान के दर्शन में ही जिंदगी की भलाई है,
भगवान के चरणों मे ही मोक्ष है,भगवान के चरणों मे बैठने से सुख मिलता है,जो पूरे महीने अधिक पुरुषोत्तम मास की कथा सुनता है तो उसे बहुत बड़ा फल भी मिलता है ,इस मास में आनन्द पाना हो तो सत्संग में डूब जाना चाहिए,उसे ब्रह्मानंद और विषयानंद दोनों की प्राप्ति होती है,
ब्रह्मानंद के आनंद में डूब जाने पर भगवान प्राप्त होते है,ब्रह्मानंद का आनंद पाने के लिए भगवान का दर्शन करना,सत्संग ,और संतो का समागम करना चाहिए ।