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Saturday, Sep 21, 2024
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अपराध/ आरोप / क्राईम न्यायालयियन समाचार मध्यप्रदेश

हैवानियत- पुत्री के साथ गलत काम करने वाले कलयुगी पिता को न्यायालय ने दी आजीवन कारावास की सजा।

ग्वालियर- श्रीमती आरती शर्मा अनन्यतः विशेष न्यायाधीश, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम एवं त्रयोदशम अपर सत्र न्यायाधीश जिला ग्वालियर (म0प्र0) में विचाराधीन विशेष प्रकरण क्रमांक 248/21 धारा 5(एल) सहपठित धारा 6 पाॅक्सो एक्ट, धारा 5(जी)सहपठित धारा 6 पाॅक्सो एक्ट एवं धारा 5(एन) सहपठित धारा 6 पाॅक्सो एक्ट में अभियुक्त को आजीवन कारावास एवं 3000 रूपये जुर्माने की सजा सुनाई।
अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री अनिल कुमार मिश्रा ने घटना के बारे में बताया कि अभियोक्त्री द्वारा पुलिस थाना महाराजपुरा पर उपस्थित होकर एक हस्तलिखित आवेदन प्रस्तुत किया कि वह अपने पिता एवं बाबा के साथ करीब 3 वर्ष से भदरौली में किराये से रह रही है। अभियोक्त्री का एक बडा भाई है जो मुरार में अपनी पत्नी के साथ रहता है। अभियोक्त्री का पिता एवं अभियोक्त्री का बाबा अभियोक्त्री के साथ काफी समय से गलत काम कर रहे है, अभियोक्त्री जब छोटी थी तो उसे यह समझ में नहीं आता था इसलिए अभियोक्त्री ने यह बात किसी को नहीं बताई। अभियोक्त्री बडी हो गई तो उसे यह काम अच्छा नहीं लगता। अभियोक्त्री के पिता एवं अभियोक्त्री के बाबा हर 10-10 दिन में अभियोक्त्री के साथ गलत काम करते है। अभियोक्त्री के पापा ने करीब 10 दिन पहले अभियोक्त्री के साथ गलत काम किया था, उसके बाद दिनांक 18.08.2021 को दोपहर करीब 12ः30 बजे अभियोक्त्री के बाबा ने अभियोक्त्री के साथ गलत काम किया। अभियोक्त्री अभियुक्तगण के गलत कामों से परेशान हो गई तब वह दिनांक 19.08.2021 को बिना बताये अकेली थाने पर आयी तथा अपने बाबा एवं पिता के बुरे कामों की रिपोर्ट की। अभियोक्त्री द्वारा की गई रिपोर्ट के आधार पर पुलिस थाना महाराजपुरा जिला ग्वालियर में प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध क्रमांक 536/2021 पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत साक्षीगण के कथन लेखबद्ध कर अभियोक्त्री के पिता को गिरफतार कर बाद चिकित्सीय परीक्षण संकलित प्रदर्शों को क्षेत्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला प्रेषित करने के उपरांत धारा 173(8) दप्रस. के अंतर्गत अभियोक्त्री के बाबा के विरूद्ध विवेचना जारी रखते हुए अभियोक्त्री के पिता के विरूद्ध प्रश्नगत अभियोग पत्र विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।
माननीय न्यायालय ने अभियोजन के तर्काे से सहमत होकर अभियोक्त्री के पिता को सजा सुनाई।

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