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Saturday, Sep 21, 2024
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झिरन्या उद्धवहन सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति के लिए पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने कृषि मंत्री कमल पटेल से की मुलाकात

खरगोन/बुरहानपुर/खंडवा। मध्यप्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) के नेतृत्व में झिरन्या क्षेत्र के किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने हरदा में प्रदेश के कृषि मंत्री और खरगोन जिले के प्रभारी मंत्री श्री कमल पटेल से मिलकर खंडवा लोकसभा क्षेत्र की झिरन्या तहसील के किसानों की प्रमुख मांग और क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से उन्हें अवगत करवाया। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य झिरन्या तहसील के अधिकांश गांव सिंचाई तो दूर पेयजल सुविधा से भी वंचित है। चूंकि यहां का जलस्तर भी 1000-1200 फिट से नीचे जा चुका है, जिसने किसानों की समस्याओं को और गहरा दिया है। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य होकर आर्थिक रूप से अत्यंत पिछड़ा हुआ है, जिसके कारण क्षेत्र के किसान मजदूर अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। जल की उपलब्धता ना होने के कारण किसानों ने मवेशी पालन भी बहुत कम कर दिया है। जिससे गोबर खाद की जगह अब किसान रासायनिक खादों पर निर्भर हो गए हैं, जिनके कारण धरा की उर्वरा क्षमता बहुत कम होती जा रही हैं। स्थिति इतनी विकट हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में सतपुड़ा और विंध्याचल, नर्मदा और ताप्ती के मध्य का क्षेत्र बंजर होकर रेगिस्तान बन सकता है।
नर्मदा यूटिलाइजेशन एक्ट अनुसार 2024 तक हमारे मध्यप्रदेश को आवंटित 18.25 मिलियन एकड़ फिट नर्मदा जल का पूर्ण उपयोग 2024 तक किया जाना है। अन्यथा शेष जल अन्य राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान को आवंटित हो जाएगा। हमारे खंडवा लोकसभा क्षेत्र में स्थित इंदिरा सागर बांध (आईएसपी) बनाने में हरसूद शहर सहित 249 गांव की 44345 हेक्टेयर भूमि डूब में गई और 30739 परिवार विस्थापित होकर बहुत बड़ा बलिदान दिया हैं। परंतु बहुत दुख की बात है कि जिस लोकसभा क्षेत्र ने पलायन और विस्थापन का दर्द सहते हुए इंदिरा सागर के महा जलाशय को बनाने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, जहां से पूरे मध्यप्रदेश को रोशन करने हेतु बिजली उत्पादन होता हैं, मालवा और निमाड़ के अन्य क्षेत्रों को सिंचित करने हेतु लगभग 12 लाख हेक्टेयर की परियोजनाओं पर काम चल रहा है, परंतु उसी लोकसभा क्षेत्र के गाँवों को असिंचित छोड़ दिया गया हैं। किसानों की समस्याओं को देखते हुए किसान पुत्र श्री शिवराजसिंह जी चौहान की किसान हितेषी सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा ‘‘झिरन्या माइक्रो उद्धवहन सिंचाई परियोजना‘‘ का तकनीकी सर्वेक्षण करके प्राक्कलन (डीपीआर) तैयार किया गया है, जिसकी अब सिर्फ प्रशासकीय स्वीकृति शेष हैं।
पूर्व मंत्री श्रीमती चिटनिस एवं प्रतिनिधि मंडल ने जिला प्रभारी मंत्री श्री कमल पटेल से अनुरोध किया कि क्षेत्र के किसानों के संघर्षों को ध्यान में रखते हुए झिरन्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करवाने का कष्ट करें। कृषि मंत्री श्री पटेल जी ने निमाड़ की कर्मठ नेत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस (दीदी) को पूर्ण आश्वासन दिया है कि मैं स्वयं एक किसान हूं। अच्छे सिंचाई संसाधनों के बिना खेती करना असंभव है। आज सिंचाई संसाधनों से समृद्ध होने के ही कारण हमारा हरदा, टिमरनी, सीहोर एवं होशंगाबाद क्षेत्र गेहूं उत्पादन में पंजाब को टक्कर दे रहा है। मैं पूर्ण रूप से कोशिश करके मुख्यमंत्री जी को झिरन्या क्षेत्र की नहर सिंचाई परियोजना की जानकारी देकर जल्द से जल्द प्रशासकीय स्वीकृति दिलवाना किसान हित में मेरा प्रथम कार्य होगा।
किसानों के प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक धुलसिंह डाबर, गुलाबसिंह वास्कले, श्रीराम पटेल, सर्वोदय पाटीदार, राजपालसिंह राठौड़, जितेंद्र पटेल गवला, प्रमोद पटेल, प्रकाश मिटावलकर, श्रीपाल सिंह तोमर, चंद्रपाल सिंह घाटाखेड़ी, चंद्रपाल सिंह छेण्डिया, आशीष राठौड़, लल्ली बना, कृष्णपाल सिंह एवं अमित पाटीदार सहित भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी संख्या में नहर सैनिक उपस्थित रहे।
झिरन्या नहर परियोजना से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु:- परियोजना का नाम- झिरन्या माइक्रो सिंचाई लिफ्ट परियोजना। प्रस्तावित सिंचित भूमि- 35200 हेक्टेयर, लाभान्वित होने वाले गाँवों की संख्या-78 है। जिनमें झिरन्या के 49, पंधाना के 25 एवं खंडवा के 4 गांव शामिल है। जल सिंचाई हेतु उद्यान 138.10 एमसीएम, परियोजना की लागत और फायदे का अनुपात 1.91 तथा परियोजना की अनुमानित लागत- 1048.37 करोड़ रुपए, सिंचाई हेतु डिस्चार्ज जल-12.32 क्यूमेक, लिफ्टिंग पॉइंट दौड़वा के पास मुख्य नहर से, पाईप लाइन की लंबाई – 48.85 किलोमीटर तथा पॉवर स्टेशन की संख्या 4 होगी। वर्तमान में परियोजना की स्थिति प्रशासकीय स्वीकृति होना शेष है।

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