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Saturday, Sep 21, 2024
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मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ का प्रदर्शन:पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर कर्मचारियों ने सौंपा ज्ञापन, जिला अध्यक्ष बोले- नई पेंशन योजना से असुरक्षा की भावना

बुरहानपुर- भारतीय मजदूर संघ के सम्बद्ध मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ एवं संविदा अध्यापक महासंघ बुरहानपुर द्वारा कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत लाने के संबंध में प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन पत्र यहां एसडीएम प्रतिनिधि विजय पाटिल को साैंपा गया। ज्ञापन देते हुए मांग की गई कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए। ज्ञापन सौंपते समय कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए कर्मचारी एकता जिंदाबाद के नारे बुलंद किए।
ज्ञापन पत्र में भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार से एनपीएस को समाप्त करके पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की गई है।
मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष सुरेश पवार ने कहा की नई पेंशन योजना से असुरक्षा की भावना नई पेंशन और उसके विरोध की वजह है
नई पेंशन के विरोध की सबसे बड़ी वजह है इसका आगे-पीछे लागू होना. दरअसल कई राज्य सरकारों ने लंबी चली चर्चा के बाद अपने कर्मचारियों पर इसे आगे-पीछे लागू कर दिया है. यानि किसी का पहले लागू हो गया है तो किसी का बाद में. वहीं पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों ने इसे आज भी लागू नहीं किया है. दूसरी बड़ी समस्या यह है कि कर्मचारियों को इस बात का डर है कि सरकार पुरानी पेंशन के तहत भले ही कर्मचारियों के हिस्से से पैसे काटती है और अपने हिस्से से पैसा मिलाती है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें कोई गारंटी नहीं मिलती कि आखिर में उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी. क्योंकि सरकार यह पैसा निजी कंपनियों के शेयर और म्यूचुअल फंड में निवेश करती है, जो जोखिम भरा होता है अगर इस निवेश में घाटा हुआ तो कर्मचारी के हिस्से से पैसा जाता है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को 4000 या फिर 700 या 800 रुपए महीने के पेंशन मिले हैं.
इस अवसर प्रदेश सचिव श्री संजय चौधरी कहा कि प्रशासकीय कार्यप्रणाली में सरकारी कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. उनके कार्यकाल में दी गई सेवा तथा भविष्य के निर्वाह के लिए कुछ समय पहले तक पेंशन अदा की जाती थी जिसे बंद कर दिया गया. उसके स्थान पर नई पेंशन योजना तो लागू की गई किंतु इसका लाभ मिलने के बदले नुकसान अधिक हो रहा है.
अंशदान पर आधारित NPS योजना
संभागीय सचिव अनिल जैसवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बंद करने के लिए अध्यादेश जारी किया था जिसके अनुसार 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए अंशदान पेंशन योजना लागू की गई. इसी आधार पर तत्कालीन राज्य सरकार ने 1 नवंबर 2005 को योजना लागू की. तत्कालीन राज्य सरकार के अनुसार 1 नवंबर 2005 के बाद से सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देना बंद कर दिया गया. इसके बदले एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) योजना लागू की. इस पेंशन योजना को लेकर गत कुछ वर्षों में कर्मचारियों में भारी असंतोष है. योजना पूरी तरह से कर्मचारियों के हितों के खिलाफ होने की शिकायतें की जा रही हैं.
अटल सरकार ने बंद की थी पुरानी पेंशन योजना
जिला सचिव उमेश गावडे ने बताया कि अप्रैल 2005 से नई पेंशन स्कीम को लागू किया गया था. नई पेंशन योजना के तहत रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार को पेंशन का प्रावधान था. अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था और नई पेंशन योजना लागू की थी. इसके बाद मध्य प्रदेश में भी नई पेंशन योजना पर अमल किया गया था. कर्मचारी इसलिए पुरानी योजना लागू करने पर जोर दे रहे हैं.
जानिए नयी और पुरानी योजना में अंतर
पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएफ) में रिटायरमेंट के समय वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थी. इसके लिए कर्मचारी के वेतन से पैसा नहीं कटता था. कर्मचारी का वेतन भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए होता था. 20 लाख तक की रकम ग्रेज्युटी में मिलती थी. कर्मचारी की मौत होने पर परिवार को पेंशन मिलती थी. जनरल प्रोविडेंट फंड यानि जीपीएफ का प्रावधान था. 6 महीने बाद DA दिया जाता था.
नई पेंशन स्कीम
-नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में जो प्रावधान है उसमें बेसिक सैलेरी डीए का 10 फ़ीसदी हिस्सा सकता है. एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है इसलिए यह सुरक्षित नहीं कहे जा सकते.
– 6 महीने बाद DA का प्रावधान नहीं है. रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है. शेयर बाजार पर आधारित है इसलिए टैक्स का भी प्रावधान है. पेंशन के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है.
जिला संगठन मंत्री विजय महाजन ने कहा कि देश में सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बंद कर दिया गया है जिसे तुरंत बहाल किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि एक सरकारी कर्मचारी सारी उम्र अपनी सेवा सरकार को देता है तथा अपनी बचत व जमापूंजी को वह परिवार व बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में खर्च कर देता है और बुढ़ापे में उसका व उसकी पत्नी का एकमात्र सहारा पेंशन होती है। सेवानिवृत्त कर्मचारी अपना व पत्नी का जीवन पेंशन के सहारे ही गुजारने की सोचता है। ऐसी स्थिति में उसकी पेंशन बंद कर देना सरासर नाइंसाफी है।
सरकारी कर्मचारी एक ही पद पर रहते हुए अपना पूरा जीवन सरकार व जनता की सेवा में बिता देता है तथा अपना कोई निजी व्यवसाय भी नहीं करता। ऐसी स्थिति में सरकारी कर्मचारी की पेंशन बंद करना उन्हें बुढ़ापे में सजा देने के बराबर है। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था को जल्द से जल्द बहाल करने की मांग की।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ एवं अन्य विभागों के कर्मचारी संजय चौधरी, अनिल जैसवाल, सुरेश पवार, उमेश गावडे, सुधाकर माकुंदे, सुनील कोटवे, प्रमोद महाजन, पंढरीनाथ महाजन, विजय महाजन, अभिषेक नीलकंठ, शैलैष लिमये, कैलाश पाटिल, कैलाश राठौड़ महिला प्रतिनिधि मंगला वाघ, ममता ठाकुर उपस्थित थे|

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