हरदा । (मुईन अख्तर खान ) हरदा जिले में निजी स्कूलों की मनमानी फीस और ड्रेस तथा काॅपी पुस्तको की निर्धारित दूकानों से आमजन परेशान हैं वहीं निर्धारित दूकानदारो व्दारा बगैर जीएसटी के बिल देकर सरकार को टेक्स चोरी कर चूना लगाया जा रहा है । जिले के निजी स्कूल पूरी तरह मनमानी पर उतर आए हैं। मनमाने ढंग से फीस निर्धारित करने वाले निजी स्कूल संचालकों ने नया सत्र प्रारंभ होते ही ड्रेस, जूता, मोजा के साथ ही किताबें और पाठ्यक्रम के नाम पर कमीशनखोरी का खेल जारी है। बेहतर शिक्षा के के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है। स्कूल संचालकों ने कहीं कापी-किताबों और ड्रेस के लिए दुकानों से सेटिंग कर रखी है तो कहीं खुद स्कूल से बांट रहे हैं। फीस बढ़ाकर तो जेब भरी ही जा रही है, कापी-किताब और ड्रेस से भी मोटी कमाई की जा रही है। इन स्कूल संचालकों पर जिला प्रशासन का किसी तरह का कोई अंकुश नहीं है। निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा और व्यवस्था का लालीपॉप देकर अभिभावकों को ठगा जा रहा है। फीस निर्धारण में मनमानी करने वाले स्कूल संचालकों ने चालू शिक्षासत्र में फीस में इजाफा कर दिया है। स्कूलों में फीस के साथ किताबों के दामों में बढ़ोत्तरी से अभिभावक परेशान हैं। अभिभावक कर्ज से बच्चों का दाखिला करवा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर किए जाने वाली मनमानी के खिलाफ शिक्षा विभाग की कुछ बोलने के बजाय मुंह बंद कर रखा है। प्राइवेट स्कूल संचालकों से कोई यह पूछने वाला नहीं कि आखिर किसके नाम पर इतनी भारी भरकम एडमीशन के नाम वसूली जा रही है। वहीं सीबीएसई स्कूलों व्दारा अपनी पूर्व निर्धारित ड्रेस में बदलाव कर वर्तमान में नये सत्र में नई ड्रेस के लिए अविभावकों को बाध्य कर निर्धारित दूकानदारो से ड्रेस लेने पर मजबूर किया जा रहा है जहां कम किया की ड्रेस उचे दाम पर बेची जा रही है । कोरोना काल के दौरान रोजगार से परेशान अभिवावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है जनहित में जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देकर कार्रवाई करें ।
इनका कहना है
मुझे इस संबंध में जानकारी मिली है कि निजी स्कूल संचालकों व्दारा स्कूल ड्रेस के लिए एक दो दूकानदारो को ही अधिकृत किया गया है । इस संबंध में जानकारी मांगी गई है ।
जैसी सैय्याम
अपर कलेक्टर हरदा
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