शालेय जीवन हर किसी के लिए स्वर्णिम समय होता है, उसकी स्मृतियाँ वापस बचपन में लौटा देती है। मन फिर से बच्चा होना चाहता है। घर परिवार की जिम्मेदारियों में अपने आप के लिए बहुत कम समय मिल पाता है, उपर से महिला होना और घर की लक्ष्मी होना तो परिवार की जिम्मेदारी निभाते निभाते उम्र के अंतिम पड़ाव पर कब आ पहुंचती है उसे पता ही नही चलता । लगभग 30 साल बाद यह छात्राएँ आपस में मिली जिसमें सुनिता टिल्लानी, मीना तलरेजा, सुनिता आसवानी, सावित्री आडवाणी, धनवंती भोजवानी, पार्वती भोजवानी यह सभी सहेलियां अपने परिवार, बच्चों के साथ अपनी जिम्मेदारियों को कुछ देर विराम देकर अपने बचपन की यादों को फिर से जीने के लिए बुरहानपुर शहर की गलियों में निकल पडी है। सभी ने एक साथ तय किया और बुरहानपुर आने का प्लान बनाया। कुछ दिनों से बुरहानपुर में रहकर वह हर उस जगहों पर घूम रही है जहाँ उनके बचपन की यादें जुड़ी हुई है । बचपन की वह प्रायमरी स्कूल जहां चार आने के बेर और बरफ का गोला , इमली खाने के लिए छुट्टी के के बाद दौड लगाते थे , फिर शहर की सबसे बड़ी सुभाष हायर सेकेंडरी स्कूल जहाँ उम्र के जिम्मेदारी वाले वर्ष में प्रवेश लिया था, उस स्कूल में जाकर वहां की कक्षाओं में अपनी अपनी बेंच पर बैठकर फिर से स्टूडेंट की भावनाओं को ( फीलिंग्स) को महसूस किया, पुराने शिक्षकों के घर जाकर उनसे आर्शीवाद लिया । शहर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रोकडिया हनुमान मंदिर, इच्छादेवी मंदिर, मोहना संगम पर शिव मंदिर , रेणुका माता मंदिर तथा ऐतिहासिक गुरूद्वारा जाकर माता टेका। इतने वर्षों बाद मिलने पर इन्होंने आपस में अपनी बचपन की यादें फिर से ताजा कर ली । खुशी और आनंद से बुरहानपुर में अपने परिचित लोगों, मित्रों एवं रिश्तेदारों के घर जाकर बडो से आर्शीवाद लिया। सुनिता टिल्लानी और मीना तलरेजा ने बताया कि हम कई सालों बाद फिर से मिले है, सभी ने वादा किया है कि अब हर साल सभी फ्रेंड्स यहाँ मिलकर बचपन की यादें ताजा करेंगे और फिर से बचपन को जियेंगे , जो छात्राएँ आर्थिक परिस्थितियों के कारण पढाई नही कर पाती हमारा ग्रुप ऐसी छात्राओं को पढाई में हर संभव मदद करेगा।