बुरहानपुर- संस्कार भारती द्वारा हिन्दू नववर्ष को लेकर सुर्य पुत्री माँ ताप्ती नदी के तट पर नव प्रभात सूर्य-अर्घ्य देकर व शास्त्रीय संगीत में प्रस्तुतियां देकर किया नव वर्ष का अभिवादन ,कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती ब्रह्मपुर द्वारा प्रतिवर्षानुसार नूतन वर्ष प्रतिपदा उत्सव विक्रम संवत २०८१ चैत्र शुक्ला दिनांक ९ अप्रैल२०२४ को प्रातः सूर्य की उदित प्रभा को अर्ध देकर मां ताप्ती के निर्मल तट राजघाट पर बहुत ही अल्हादीत और उत्साहित करने वाले ऐसे दिव्य वातावरण में संपादित हुआ। शास्त्रीय संगीत की अलग-अलग प्रस्तुतियां बांसुरी शहनाई,तबला,मृदंग व गायन आदि वाद्य यंत्रों के साथ बहुत ही मंत्र-मुक्त करने वाली प्रस्तुतियां संस्कार भारती बम्हपुर इकाई द्वारा दी गई।
मालवा प्रांत संगीत विद्या प्रमुख गजानंद वारुडे एवं ऋषि मुलतकर ने बताया आने वाले सभी तीज- त्योहारों को संस्कार भारती अपने वैदिक परंपरा अनुसार मानती रहेगी|
संस्कार भारती के जिला अध्यक्ष विनोद जंजालकर ने बताया कि हमारा दायित्व है कि हम अपनी परंपरा और सभ्यता को बचाएं. इसे आने वाली पीढ़ी को भी बताएं. हिंदू धर्म में नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा से होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने आज ही के दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ कर दी थी. इस कारण इस दिन से ही नववर्ष का आरंभ भी हो जाता है. इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर कहते हैं. इसका प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य ने किया था. इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को हिंदू नववर्ष के महत्व की जानकारी देना है.
इस अवसर पर संस्कार भारती जिलाध्यक्ष विनोद जंजालकर ने सभी का आभार माना।