हिंदु धर्म में नवरात्री का बहुत महत्व है। नवरात्री में लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग अवतारों की पूजा होती है। चैत्र नवरात्री की शुरूआत 9 अप्रैल को कलश स्थापना से होगी और 18 अप्रैल को इसकी समाप्ती होगी। इसी के साथ हिन्दू नववर्ष का शुभारंभ होगा।
पंचांग के अनुसार, हिंदु धर्म में सालभर में चार नवरात्री आती है। इन चारों में चैत्र और शारदीय नवरात्री का विशेष महत्व होता है, वहीं दो नवरात्री गुप्त होती हैं। चैत्र नवरात्री की शुरूआत 9 अप्रैल को घट स्थापना यानी कलश स्थापना से होगी और नौ दिन तक लगातार मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को पूजन के बाद 18 अप्रैल को इसका समापन होगा। ऐसी मान्यता है कि नवरात्री का व्रत रखने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-सम्पत्ति का आगमन होता है। इस पूजा में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है, तो आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त का समय।
घट स्थापना का मुहूर्त
चैत्र नवरात्री कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करने का विशेष महत्व है, ऐसी मान्यता है कि बिना सही मुहूर्त के पूजा सम्पन्न नहीं होती। कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इसमें अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना का भी महत्व है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से शुऱू होकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
मां दुर्गा के इन अवतारों की होगी पूजा
9 अप्रैल 2024- प्रतिपदा तिथि- मां शैलपुत्री (कलश स्थापना)
10 अप्रैल 2024- द्वितीया तिथि- मां ब्रह्राचारिणी
11 अप्रैल 2024- तृतीया तिथि- मां चंद्रघंटा
12 अप्रैल 2024- चतुर्थी तिथि- मां कुष्मांडा
13 अप्रैल 2024- पंचमी तिथि- मां स्कंदमाता
14 अप्रैल 2024- षष्ठी तिथि- मां कात्यायनी
15 अप्रैल 2024- सप्तमी तिथि- मां कालरात्रि
16 अप्रैल 2024- अष्टमी तिथि- मां महागौरी (दुर्गा महाष्टमी पूजा)
17 अप्रैल 2024- नवमी तिथि- मां सिद्धिदात्री (महा नवमी और रामनवमी पूजा)
18 अप्रैल 2024- दशमी तिथि- पारण और दुर्गा विसर्जन