बुरहानपुर-(महेश मावले) इस बार बुरहानपुर विधानसभा का चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है। बुरहानपुर के इतिहास में पहली बार प्रबल दावेदारों के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला होने जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा की टीमें अपने अपने प्रत्याशियों के लिए मशक्कत कर रही है वहीं दूसरी तरफ निर्दलीय के रूप में भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले हर्षवर्धन चौहान कल अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर निर्वाचन कार्यालय फार्म जमा करने पहुंचेगे। वह अपने पुराने घर से अपने समर्थकों के साथ विभिन्न मार्गों से होते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में पहुंचेगे जिसके लिए उनके समर्थकों द्वारा भव्य पैमाने पर तैय्यारिया की है। हर्षवर्धन के साथ भाजपा के कुछ अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नही दिया मिडिया को संतुष्टीदायक जवाब, भाजपा के वोट बंटोरेगे हर्षवर्धन
बुरहानपुर के धूलकोट में मंजू दादू के समर्थन में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जब मीडिया द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के सुपुत्र हर्षवर्धन चौहान द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने के विषय में मुख्यमंत्री चौहान से पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बात कर लेंगे? मीडिया को दिये इस जवाब से यह प्रतीत होता है कि अभी हर्षवर्धन सिंह चौहान अपनी दावेदारी निर्दलीय उम्मीदवार के ही रूप में करने ही वाले हैं। क्योंकि सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ है कि अभी तक उन्हें प्रदेश के किसी भी भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी या केंद्र के पदाधिकारी द्वारा कोई संपर्क नहीं किया गया है अतः निश्चित है कि हर्षवर्धन चौहान चुनाव लड़ेंगे ही। वह भाजपा के ही वोट बंटोरेगे इससे भाजपा को नुकसान होने की आशंका है। हालांकि भाजपा की प्रत्याशी पूर्व केबीनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस का धुआंधार तूफानी जनसंपर्क चल रहा है तथा वह प्रत्येक मतदाता के घर-घर पहुंचकर जनसंपर्क कर रही है। उनके साथ भाजपा के जिला अध्यक्ष मनोज लधवे सहित सांसद ज्ञानेश्वर पाटील एवं अन्य जिला पदाधिकारी साथ में तूफानी जनसंपर्क कर रहे हैं।
बुरहानपुर विधानसभा चुनाव में पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला
बुरहानपुर के इतिहास में यह पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला होने जा रहा है जहां पर कांग्रेस के बागी कांग्रेस के विरोध में खड़े हैं और भाजपा के बागी भाजपा के विरोध में खड़े हुए हैं इसके अतिरिक्त अन्य दल भी अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं। परंतु यह चतुष्कोणिय मुकाबला बड़ा दिलचस्प होने वाला है जहां पर अपने ही दल के कार्यकता अपने ही दल के अन्य कार्यकर्ता को हराएंगे या अपने ही कार्यकर्ता अपने ही कार्यकर्ता को जीतायेगे? अब देखा जाएगा इस मुकाबले में कौन-कौन से मोहरे अपनी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चाल चलते हैं तथा किसे जिताने और किसे हराने में अपना अमूल्य समय देते हैं।
एमआईएम ने उतारा अपना प्रत्याशी कांग्रेस की उडी नींद
इधर एमआईएम ने बुरहानपुर के पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नफीस मंशा खान को अपने खेमे में लेकर उन्हें बुरहानपुर विधानसभा का प्रत्याशी बना दिया है जिससे कांग्रेस में हलचल मच गई है क्योंकि कांग्रेस के कुछ लोगों ने ठाकुर सुरेंद्र सिंह को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने पर पहले ही विरोध कर दिया था और अपनी असहमति जता दी थी। लेकिन कांग्रेस के एक धड़े के अनुसार यहां पर अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा होने के कारण उनका कहना था कि अल्पसंख्यक को टिकट दिया जाए परंतु कांग्रेस ने पहले ही सुरेंद्र सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया इसलिए अब एमआईएम ने अल्पसंख्यक का कार्ड खेलते हुए नफीस मंशा खान को मैदान में
उतारा है अब देखा जाएगा की वह कांग्रेस के कितने वोट काटेंगे तथा क्या अपनी जीत की ओर अग्रसर होंगे यह तो वक्त ही बताएगा।
ऐसे होगा भाजपा एवं कांग्रेस के वोटों का बंटवारा,
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा एवं कांग्रेस के विरोध में खड़े निर्दलीय उम्मीदवार अपने-अपने समर्थकों के एवं समाज के वोटो के आधार पर चुनावी समीकरण बिगाड सकते है। भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में हर्ष वर्धन सेंध लगा सकते है क्योंकि उनके समर्थकों में बहुत से भाजपा के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल है । कई कार्यकर्ता तो नंदकुमार सिंह चौहान का ॠण उतारने के लिए लिए हर्षवर्धन सिंह चौहान का साथ दे रहे हैं। इनमें से कई कार्यकत्र्ताओं का राजनीतिक भविष्य नंदकुमार सिंह चौहान ने बनाया था।इसलिए वह हर्ष वर्धन का साथ दे रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रत्याशी वर्तमान विधायक सुरेन्द्र सिंह ठाकुर पूर्व विधानसभा में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े थे और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों के कारण जीते भी थे। वह तथा उनका पूरा परिवार पूर्व से कांग्रेसी है । उनके दोनों बडे भाई स्व शिवकुमार सिंह ठाकुर तथा महेंद्रसिंह ठाकुर कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। बुरहानपुर जिले में राहुल गांधी की पदयात्रा में सुरेन्द्र सिंह ठाकुर ने अपना विशेष योगदान दिया तथा सहयोग दिया था, उनकी पकड़ भी ग्रामीण क्षेत्र में अत्यधिक है। इसलिए कांग्रेस ने उन्हें इस बार अपना प्रत्याशी बनाया है । अल्पसंख्यक वोटों के कारण ही पिछली बार वह चुनाव जीते थे लेकिन इस बार कांग्रेस के ही कुछ अल्पसंख्यकों द्वारा उनका विरोध किया गया इसलिए एमआईएम ने इसका फायदा उठाकर कांग्रेस के ही अल्पसंख्यक समुदाय के नफीस मंशा खान को मैदान में उतारा है तो इस बार कांग्रेस के वोट भी एमआईएम के प्रत्याशी नफीस मंशा बटोर सकते हैं । कल वह भी अपना नामांकन रैली के रूप जमा करने निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में पहुंचेगे।