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Saturday, Sep 21, 2024
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अपराध/ आरोप / क्राईम जबलपुर मध्यप्रदेश शैक्षणिक स्पेशल/ विशेष

मध्यप्रदेश में पहली बार निजी स्कूल संचालकों पर सबसे बड़ी कार्रवाई, 51 संचालकों पर एफआईआर दर्ज, देखिये पुलिस ने कितने लोगों को किया गिरफ्तार

अवैध फीस वसूली और बुक फिक्सिंग के खिलाफ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए धोखाधड़ी, विश्वास छल सहित अन्य धाराओं में 11 एफआइआर दर्ज कर 51 आरोपियों को नामजद किया है। इनमें 11 निजी स्कूलों के संचालक, बुक सेलर और मुद्रक-प्रकाशक शामिल हैं। इन 11 स्कूल संचालकों ने मनमानी तरीके से 81 करोड़ रुपए की अवैध फीस वसूली थी। पुलिस ने सुबह से छापामार कार्रवाई कर 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वहीं, 31 की तलाश चल रही है। आरोपियों ने बुक फिक्सिंग करते हुए 4 करोड़ रुपए से अधिक दलाली खाई है। अभिभावकों की शिकायत के बाद शिक्षा माफिया के खिलाफ प्रदेश की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

मध्य प्रदेश के जबलपुर में निजी स्कूलों की मनमानी और बुक सेलर्स के साथ मिलकर अभिभावकों के साथ की जा रही लूट खसौट के अब तक के सबसे बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है। जबलपुर के जिला प्रशासन ने स्कूलों में पढ़ने वाले 7 लाख बच्चों से 240 करोड़ रुपए की अवैध वसूली का खुलासा किया है। इसमें 11 स्कूलों ने 81 करोड़ 30 लाख से ज्यादा फीस की वसूली की है। स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सबूत प्रशासन को मिले हैं।

निजी स्कूल मालिकों ने बुक सेलर्स के साथ मिलकर की जा रही इस घोटालेबाजी में 51 लोगों को आरोपी बनाया है। जिसमें 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में जबलपुर के नामचीन स्कूलों के करीब 11 स्कूलों के संचालक भी शामिल हैं, जिन्हें पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है। मनमानी करने वाले इन स्कूल संचालकों और प्रिंसिपल्स के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420, 471 और 472 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। फीस वृद्धि, बुक पब्लिकेशन और स्कूलों की मोनोपोली को लेकर हुए इस बड़े घोटाले में कई और लोगों के शामिल होने की भी बातें सामने आ रही है।

अवैध रूप से वसूली गई फीस होगी वापस

जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने इसके पहले टीमें गठित कर जबलपुर के स्कूलों से लेकर बुक सेलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई कराई थी। जिसके बाद रिपोर्ट तैयार की गई और इस रिपोर्ट के आधार पर आधा सैकड़ा से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाकर 20 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। कलेक्टर दीपक ने साफ किया है कि अवैध रूप से वसूली गई फीस की वापसी कराई जाएगी। निजी स्कूलों के मालिक बुक पब्लिकेशन से जुड़े लोग और स्कूल के प्रिंसिपल मिलकर इस घोटाले बाजी को बड़े ही शातिर ढंग से अंजाम दिया करते थे।

पाठ्य पुस्तकों और स्टेशनरी के विवरण को न सिर्फ सार्वजनिक करने से बचते थे, बल्कि एक क्लास में ज्यादा से ज्यादा सब्जेक्ट की किताबें खरीदने के लिए दबाव बनाते थे। कमीशन बाजी के लिए पब्लिशर हर साल सिलेबस ही बदल दिया करते थे। भारी संख्या में फर्जी और डुप्लीकेट किताबें भी बाजार में बेची जा रही थी। कुछ चुनिंदा बुक सेलर्स से ही यह जानकारी साझा की जाती थी और इस घोटाले को अंजाम देने की योजना तैयार की जाती रही। कई अभिभावकों ने निजी स्कूलों के खिलाफ अनाप-शनाप दामों पर किताबें खरीदने के लिए दबाव बनाने की शिकायतें की थी। जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।

स्कूल मालिकों को चेतावनी

इस पूरे घोटाले में 11 स्कूलों में फर्जी और डुप्लीकेट आईएसबीएन नंबर की किताबें चलाने की भी बातें सामने आई है। फर्जी आईएसबीएन नंबर की किताब ओपन मार्केट में ना मिलकर कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही मिला करती थी। 60% किताबों में और 50 फीसदी स्टेशनरी में मुनाफा कमाया जाता था। अब कलेक्टर ने साफ किया है कि 10% से ज्यादा फीस की वृद्धि बगैर कलेक्टर और जिला समिति की मंजूरी के बिना नहीं हो सकती और हर साल 1 अक्टूबर से पहले सिलेबस का निर्धारण करना होगा। बाकी स्कूलों को अपने स्तर पर सुधार करने की भी चेतावनी दी गई है। स्कूल मालिकों और बुक पब्लिशर्स के द्वारा की जा रही इस घोटालेबाजी का खुलासा करते हुए जबलपुर कलेक्टर ने निजी स्कूल मालिकों को चेतावनी दी है कि जिन्होंने ज्यादा फीस की वसूली की है वे 30 मई तक अभिभावकों को वापस कर दें

क्राइस्ट चर्च स्कूल के बिशप की भी हुई गिरफ्तारी

इस पूरे फर्जीवाड़े के खेल में सीनेट के अंतर्गत आने वाले क्राइसिस स्कूल के जबलपुर लाइसेंस के बिशप अजय उमेश जेम्स की भी गिरफ्तारी हुई है। बताया जा रहा है कि बिशप अजय उमेश जेम्स शहर से भागने की फिराक में थे, जिन्हें जबलपुर एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया है। बिशप अजय उमेश जेम्स, शहरभर में संचालित सभी क्राइस्ट चर्च स्कूल के चेयरमैन भी है।

80 प्रतिशत नई किताबों में फर्जी या डुप्लीकेट आईएसबीएन नम्बर

जांच में यह बात भी सामने आई कि स्कूलों में लगने वाली 80 प्रतिशत नई किताबों में फर्जी या डुप्लीकेट आईएसबीएन नम्बर डला हुआ था। उनकी जांच की गई, तो प्रकाशक और बुक विक्रेताओं की स्कूल प्रबंधन से मिलीभगत उजागर हुई। एफआईआर के अनुसार स्कूल संचालकों ने कमीशन खोरी के चक्कर में ऐसी किताबों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया, जो गैर जरूरी थीं और उनका पढ़ाई से कोई मतलब नहीं था। इन किताबों को बुक स्टोर संचालकों ने महंगे दामों में बेचा और इसका कमीशन बुक स्टोर और स्कूल दोनों ने रखा। इन 11 स्कूल संचालकों ने बुक सेलरों से 4 करोड़ रुपए से अधिक की दलाली ली।

आरोपियों की लिस्ट यहां देखें

मामले में एजुकेटर नॉलेज इंडिया प्रा.लि.और देव ज्योति बुक प्रा.लि. करनाल हरियाणा, एसटीसी पब्लि शिंग हॉऊस नोएडा, सृजन पब्लिशन प्रा.लि. दिल्ली, सनबीम प ब्लिकेशन, विद्यार्थी प्रकाशन, आईकोनिक पब्लिकेशन दिल्ली, एप्पली बुक चेन्नई, क्रिस्टन पब्लिकेशन आगरा, सोनी पब्लिकेशन पीवी टीएलटीडी करोल बाग, सोनिका पब्लिकेशन मायापुरी दिल्ली, स्कूल शॉप प्रा.लि., जय डिकास्टा मुंबई, देवज्योति बुक प्रा.लि. और सायफर इंडिया पब्लिशर प्रा.लि. हरियाणा, ओलीवर पब्लिकेशन एलएलपी इंदौर, एजुकेयर नॉलेज इंडिया प्रा.लि., देवज्योति बुक्स प्रा.लि. हरियाणा, एसटीसी पब्लिशिंग हाऊस दिल्ली, सोनी पब्लिकेशन पीवीटी एलटीडी करोल बाग, सोनिका पब्लिकेशन दिल्ली, मरीना पब्लिकेशन गाजियाबाद, किड्स लर्निंग प्रा.लि. नोएडा, सनबीम प ब्लिकेशन दिल्ली को आरोपी बनाया गया है।

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