बुरहानपुर के सीलमपुर स्थित स्वामीनारायण मंदिर में श्रावण मास के कथा की समाप्ति के अंतिम दिन व्यास पीठ पर विराजित शास्त्री चिंतन प्रिया दास जी ने कहा कि बह्मा ,विष्णु, महेश परतत्व के बहुत स्वरूप होते है,
किसी भी भगवान को नमनन करो तो परतत्व देव तक आपका नमन पहुच जाता है, यही ही नही किसी हरिभक्त को भी नमन कर लिया जाय तो वह भी हमारे ईस्ट परतत्व को पहुच जाता हैं,नेमिश्रन्य वह क्षेत्र है जहां मन स्थिर हो जाये,भगवान में लीन हो जाये वही यह क्षेत्र हमारा स्वामिनारायण मंदिर है
जीवन को सुधारने के लिए धर्म अनिवार्य है ,इसके दो रूप है लौकिक और परधर्म ,
लौकिक केवल हमारे कर्तव्यों के अंतर्गत आता है ,और परधर्म हमारा मोक्ष को साध्य कर देता है,लौकिक धर्म गौण है किंतु परधर्म अनिवार्य है,इस जन्म को सुधारने के लिए परधर्म को अपना लो,गुरु का अर्थ बताते हुए कहा कि गुरु अंधकार दूर कराने वाले का नाम ही गुरु है।
वही अंतिम दिन की कथा की समाप्ति के अवसर पर मंदिर के पार्षदवर्य दिनेश भगत की उपस्थिति में सभी हरि भक्तों ने व्यासपीठ पर विराजित चिंतनप्रियदास जी का पुष्प माला से और शाल श्रीफल से सम्मान किया और आशीर्वाद लिया तथा सभी ने भगवान लक्ष्मी नारायण देव से प्रार्थना की कि व्यास पीठ पर विराजित नन्हे शास्त्री चिंतनप्रियदास जी इसी तरह कथा करते रहे और हम बुरहानपुर वासियो को कथा श्रवण का लाभ देते रहे मंदिर के मीडिया प्रभारी गोपाल देवकर ने बताया कि वही मंदिर के वरिष्ठ ट्रस्टी सोमेश्वर मर्चेंट ने आरती पूजन कर आशीर्वाद ग्रहण किया इस अवसर पर मंदिर की ट्रस्टी नतंवर भगत, सेवक दास शाह, अशोक जी शाह, नितिन शाह ,रामकिसन शाह,भक्ति महिला मंडल की मृदुला शाह ,शारदा बेन शाह ,मीना दलाल आदि बहने भी मौजूद रही।