रामायण आदि काल से एक ग्रन्थ ही नहीं जीवन जीने की कला सिखाने और जीवन की मर्यादाओ का दर्शन भी है। आज के आधुनिक प्रबंधन के छेत्र में रामायण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। मैनेजमेंट की दुनिया में “अनुशासन “‘ टीम वर्क ” “मोटिवेशन ऑफ़ टीम “टारगेट ” सक्सेस “स्टेटजी”परफ़ॉर्मर” मॉनिटरिंग “ब्रांड”कम्युनिकेटिन”कॉन्फिडेंस “प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन”लीवरेज “ऑनेस्टी”फेयर डील “पेसेंस “इक्विलिटी इन वर्क “यूनिटी “इंटेंशन “निर्णय क्षमता” जिम्मेदारी की भावना”इमोशनल इंटेलिजेंस”कम्यूनिकेशन स्किल” सेल्फ कॉन्फिडेंस “टाइम मैनेजमेंट”ओपन माइंडेड “विजन”मिशन”अकॉउंटबिलिटी “लिसनिंग स्किल “ट्रांसप्रेंसी “गोल “आदि कई ऐसे शब्द है जो कारपोरेट वर्ल्ड रोजाना उपयोग में आते है सारा ऑपरेशन इन शब्दों के द्वारा ही निर्धारित होता है। भगवान राम ने अभाव और विपरीत परिस्थितियों में कैसे गोल को प्राप्त किया और कैसे टीम वर्क से अपने लोगो को जोड़ा समझने योग्य है।
एक अच्छे प्रबंधक में अनुशासन और मर्यादा का गुण होना अनिवार्य है अपनी कार्यशैली में और अपनी टीम में अनुशासन ही वो धुरी है जिससे अच्छी टीम का टीम का निर्माण हो सकता है। एक अच्छे प्रबंधक को अपनी मर्यादा में रहकर अपने गोल को प्राप्त करना होता है जो प्रभु राम से सीखा जा सकता है।इसी गुण ने राम को भगवन बना दिया था। टीम वर्क का सबसे अच्छा उदाहरण रामायण में मिलता है कैसे टीम को बनाना ,कैसे अपनी छवि से मित्रो को जोड़ना जो आपके लिए युद्द तक लड़ने को तैयार हो जावे और उनका कम साधनो में भी युद्द लड़ने की ट्रेनिंग देना और विपरीत परिस्थितियों परिस्थितियों में उनका मोटिवेशन करना श्रीराम से सिखने योग्य है। जहा सोने की लंका का राजा सामने हो और राम जो वनवास भोग रहे हो और ऐसे में कोई युद्द लड़ना पड़े तो कैसे ये असम्भव काम को भी संभव बनाना रामजी से सीखना चाहिए। असंभव टारगेट जो सात समंदर पार हो और साधन कुछ न हो ऐसे में जो परफॉर्ममेंस रामजी की टीम ने दिखाया वो एक कुशल प्रबंधन का ही नतीजा था। जामवंत का पवनसुत को प्रेरित करना एक अच्छे प्रबंधक का सबसे अच्छा एक्जाम्पल है, जो अपने सहकर्मियों का परिचय उनके सामर्थ से कराता है. फिर उसकी सामर्थ के अनुसार कामों को करने के लिए उनको प्रेरित करता है।इसी तरह ब्रांड का भी अपना महत्व है एक प्रबंधक के लिए कम्पनी के ब्रांड से बड़ा कुछ नहीं होना चाहिए और उसकी पहचान कम्पनी के ब्रांड से होती है जब हनुमान जी लंका में आग लगा कर आये तो वो चाहते तो युद्द एक बार में ही समेट कर आ सकते थे लेकिन उनको अपने ब्रांड राम जी का करवाना था जो उन्होंने किया। राम जी का इतनी विपरीत परिस्थितियों में अपना आत्मबल देखते बनता है जिसका रावण में आभाव दीखता है कोई भी टास्क पूरा करने के लिए लीडर का सेल्फ कॉंफिडेंस होना जरुरी है। किसी भी प्रोजेक्ट को इम्प्लीमेंट करना सबसे महत्वपूर्ण है जो स्टेटजी बनायीं है उसको कार्यरूप देना रामजी से सिख सकते है युद्द को पूरा अपनी स्टेटजी से पूरा किया गया। कम्युनिकेशन स्किल का प्रबंधक में होना जरुरी है बाली और सुग्रीव दोनों भाई थे लेकिन दोनों में कम्युनिकेशन सही नहीं होने से दुश्मनी हो जाती है और उसकी परिणीति बाली की मोत के रूप में होती है। राम हमेशा जो करते थे अपनी टीम से डिसकशन करके ही करते थे जिससे उनमे आपस में ट्रांसपरेंसी रहती जिससे सब लोगो एक ही दिशा में प्रयास करते जो सक्सेस के लिए बहुत जरुरी है। क्लियर विजन,समय का उचित प्रबंधन और व्यक्तिगत जवाबदारी भी हम रामायण में पाते जिससे काम को अंजाम तक पहुंचने में आसानी होती है। सबको सुनने की स्किल भी प्रबंधक में होना जरुरी वरना सारे इम्पुट के बिना लिया गया निर्णय हमेशा गलत ही होता है। राम सबकी बात बड़े इत्मीनान से सुनते थे और अंत में ही कोई निर्णय लेते थे जो उनका मुख्य गुण था। ओपन माइंड होना भी जरुरी किसी भी विकल्प को तलशने के लिए खुले दिमाग से बात करना जरुरी है जो रामजी कोई दुश्मन भी आये तो खुले दिमाग से उससे भी बात करते थे उसी का नतीजा था की विभीषण अपना देश छोड़ कर राम जी के साथ आ गया था।
राजेश भंडारी”बाबू “
असिस्टेंट प्रोफेसर
इंदौर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एन्ड रिसर्च