(राजगढ़) जिला न्यायालय राजगढ़ में पदस्थ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रत्नेश चन्द्र सिंह बिसेन द्वारा पुलिस थाना भोजपुर के एक आपराधिक प्रकरण में फैसला सुनाते हुयेें आरोपी शंकरलाल पिता देवीलाल तथा आरोपी बालू उर्फ बालूराम पिता देवीलाल निवासीगण ग्राम कड़ीखेड़ा थाना भोजपुर जिला राजगढ़ को धारा 436 भा.द.वि. में तीन तीन वर्षों के कठोर कारावास के साथ ही 15-15 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
घटना की जानकारी देते हुए प्रकरण में राज्य सरकार की और से पैरवी कर रहे लोकअभियोजक जे.पी.शर्मा नें बताया कि घटना दिनाँक 08.04.2018 की होकर रात करीब एक बजे की है।फरियादी रामबाबू निवासी ग्राम कड़ीखेड़ा थाना भोजपुर ने आरोपीगण के विरुद्ध भोजपुर थाना मे घटना की रिपोर्ट लेखबद्ध करवाई की वह घटना के समय रात में पेशाब करने के लिए उठा तो उसने देखा की आरोपीगण उसके मकान के पास खड़े दिखाई दिए ओर उन्होंने उसके मकान में कुप्पी में से तेल डालकर आग लगा दी। फ़रियादी चिल्लाया तो दोनों आरोपीगण नें उस पर पत्थर भी फेंके।
चिल्लाचोंट सुनकर उसका काका का लड़का मोरसिंह और ताऊजी हीरालाल भी आ गए उन्होंने भी दोनों आरोपीगण को आग लगाकर भागते देखा। घटना करके भागते समय आरोपी शंकरलाल का बटुआ भी गिर गया जिसमें शंकरलाल के पांच फोटो पासपोर्ट साइज के तथा 230 रुपये भी रखे थे। पुलिस ने प्रकरण में आरोपीगण द्वारा आग लगाने के बाद फेंकी गई प्लास्टिक की कुप्पी जिसमें केरोसिन की गंध भी आ रही थी तथा आरोपी शंकरलाल का बटुआ भी जब्त किया गया। आग लगने से फ़रियादी रामबाबू और उसके भाई मोरसिंह तथा उसके पिता गिरधारी का पूरा मकान जल गया था तीनों फ़रियादी एक ही मकान में अलग अलग तीन हिस्सों में रहते थे। आग से मकान जलने तथा मकान में रखा सामान जलने से लगभग एक से डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हुआ था।
राज्य की ओर से प्रकरण में घटना के चक्षुदर्शी साक्षी मोरसिंह, हीरालाल, रामबाबू और गिरधारी तंवर के कथन न्यायालय में गवाह के रूप में करवाये गए साथ ही पुलिस साक्षी अनुसंधान अधिकारी तत्कालीन सहायक उपनिरीक्षक शिवराज मीणा के कथन भी माननीय विचारण न्यायालय में साक्षी के रूप में करवाये गए।
न्यायालय द्वारा समस्त साक्षीगण के कथन और लोकअभियोजक जे.पी.शर्मा द्वारा दिये गए तर्कों के आधार पर आरोपी शंकरलाल पिता देवीलाल तथा आरोपी बालू उर्फ बालूराम पिता देवीलाल निवासीगण ग्राम कड़ीखेड़ा थाना भोजपुर को धारा 436 आई.पी.सी के अपराध का दोषी पाया जाकर तीन तीन वर्षों के कठोर कारावास की सजा ओर 15000 -15000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है। अर्थदण्ड की राशि मे से 20000 रुपये फ़रियादी रामबाबू को प्रतिकर के रूप में भी दिलाये गये।
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