: करवा चौथ को भूत(व्यंग्य)

महेश मावले
Thu, Oct 9, 2025
करवा चौथ कंई अई जने गेल्या गाम में ऊंट अय ग्यो होय। सब लोगोण असा बोरबांदरा हुई रिया के नेठूज सूज नी पड़ी री। अने नई-नवेलीहोण को तो और ज बुरो हाल। कसतर करां, कई विधि । कदे खाणो, कई खाणो। पानी तो पीणोज नी हे तो चा पी सकां के नी, ज्यूस अने नारेल पाणी पीलां कईं ! इन नई नवेलीहोण की मां होण भी गुहार लगाती फिरी री । हमारी नानी के आदत नी हे, कदी भूखी नी री, ऐ आजकल तो फल फुरूट ने डिराय फुरुट खय ने भी करी सके हे। मारडन करवाचौथ को चलन हे अब्बे तो ।

करवाचौथ के लय ने बयरां होण कित्ती सीरियस हे उकी एक बानगी देखो साब! आठ दन पेलां से पार्लर बुक करी मेल्यो हे। चक्कर पे चक्कर लगी रिया हे। कदी फेशियल कराने जय री हे तो कदी हाथ-पग का बाल उखड़वाने। कई बोले दरी ऊके….ऐ म्हारे तो नाम तक नी आवे, हूं भोली की भोली ज रई गी। पड़ोसन ने बतायो वेक्सिंग बोले उके पण म्हारा मगज में या बात नेठूज नी घूसी री के हाथ-पग ने भापण का बाल उखड़वाने से धणी की उमर कसतर बढ़ेगी। उमर तो नी बढ़ी री पण जेब जरुर घटी री हे। 8 दन पेला से रोज शापिंग हुई री हे कदी साड़ी कदी चूड़ी ने कदी लिपिस्टिक।

अने धणी होण भी कम नी पड़ी रिया हे । वी ओर एक कदम आगे बढ़ी ने खुद बी करवाचौथ को बरत रखी रिया हे अने जिनी करवा से धरमपत्नी के पाणी पिवय रिया हे उनी से खुद भी अपणी पत्नी का हाथ से पाणी पी रिया हे। म्हारी बई तो असा आदमी होण के 'मलूड़ा होण' केती थी पण आजकल जमानो बराबरी को हे तो पत्नी कमाने जय सके तो पति भी बरत करी सके हे।
लो इनी रापटरोल्यां में हूं तो भूली ज गी के म्हारे भी मेंदी लगानी हे। म्हारो तो योज केणो हे के सुहाग को बरत हे तो खूब मन चित लगय ने 16 सिणगार करी ने अच्छी भावना से नेम से बरत करणो चिए। चंदरमां के अरघ दय ने पूजा करी ने चौथ को बरत करो अने एक दन ज नी बारां मईना ज पति को आदर करो, मान-सम्मान दो ने भगवतभाव से गृहस्थी की गाड़ी खींचों। अने हां सोशल मीडिया को जमानो हे तो सेल्फी लय ने सोशल मीडिया पे पोस्ट करनो मत भुलजो नी तो सगली मेहनत बेकार हुय जाएगी।
हेमलता शर्मा भोली बेन
इंदौर मध्यप्रदेश
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