: देडतलाई में 71 महिला पुरुषों ने लिया सुदर्शन क्रिया का आनंद..,देडतलाई में 71 महिला पुरुषों ने लिया सुदर्शन क्रिया का आनंद..,

महेश मावले
Sat, Aug 23, 2025
जवाबदारियों की अधिकता और आवश्यकताओं की सीमितता सुखी जीवन का मूल मंत्र है।.. देवताले
……………………………………..
तनावरहित और सुखी जीवन का आनंद लेने के लिए मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं को सीमित करना होगा, साथ ही जवाबदारीयां अधिक लेना होगी, तभी हम सही अर्थों में जीवन को आनंदमयी बना सकते हैं। यही तनाव रहित जीवन जीने का मूल मंत्र है।उक्त उदगार आर्ट ऑफ़ लिविंग के वरिष्ठ प्रशिक्षक संतोष देवताले ने ग्राम देड़तलाई में विगत 4 दिवस से चल रहे आनंद की अनुभूति शिविर में शामिल हुए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहीं। आपने कहा कि हमारा मन पैंडुलम की तरह भूत और भविष्यकाल के बीच झूमता रहता है।
भूतकाल का चिंतन करने पर हमें क्रोध आता है तो वहीं भविष्य के बारे में विचार करने पर चिंताएं बढ़ती है। ये दोनों ही हमारे हाथ में नहीं हैं जीवन का वास्तविक आनंद वर्तमान क्षण में है। शिविर में सिखाई जाने वाली सुदर्शन क्रिया हमारे मन को शांत कर इस ज्ञान सूत्र को जीवन में अपनाने का सामर्थ्य देती है।

साथी प्रशिक्षिका आर्ट ऑफ लिविंग की जोनल टीचर कोऑर्डिनेटर दीपाली रविंद्र पंडित ने कहा कि 5 साल के बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के सभी महिला पुरुषों के अपने अपने स्तर के तनाव होते हैं इसलिए गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी ने बच्चों, युवा तरुणाई,और व्यस्क महिला पुरुष हेतु विभिन्न कोर्स इस सृष्टि को उपहार स्वरूप प्रदान किए इसी में इन्ट्यूशन प्रोसेस आज के विद्यार्थियों के लिए सृष्टि का अनमोल उपहार हैं। अतिथि सेमिनार के अंतर्गत प्रशिक्षिका दीपाली पंडित के निर्देशन में छठी क्लास की बालिका प्रेणा दीपक अधमने ने आँख पर पट्टी बाँधकर
न सिर्फ कार्ड पर छपी हुई आकृति और रंग को पहचान लिया बल्कि नोट और उस पर लिखे हुए नोट के नंबर को भी उंगलियों से छूकर सही सही बताकर सभी प्रतिभागियों को अचंभित कर दिया।
अपने अनुभव साझा करते हुए सेमिनार के आयोजक विशाल भाले और डॉ॰ विभूति गोलदार ने कहा कि हमारे छोटे से अनुरोध पर इस शिविर में ग्राम के 71 महिला पुरुष साधकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर इस शिविर को भव्य रूप प्रदान किया है। मात्र चार दिन में सभी साधकों ने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव किया है। माजरोद से पधारे शिविरार्थी पिंटू जाधव ने कहा कि मैंने स्वयं अनुभव किया है कि डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति इस शिविर कि सुदर्शन क्रिया और ज्ञान सूत्र के माध्यम से मात्र 4 दिन में समस्त दवाइयां और उपचार से मुक्त होकर पुनः सहज जिन्दगी में वापस आ जाता है। तुकईथड़ के सोनू भावसार ने कहा यह शिविर वर्तमान समय की आवश्यकता है,परिवार के हर सदस्य को इसका आनंद लेना चाहिए। उपस्थित सभी महिला पुरुष साधकों ने इस सुंदर आयोजन से जीवन में आए सकारात्मक अनुभव के लिए आयोजकगण और बुरहानपुर से पधारे प्रशिक्षकों के प्रति कृतज्ञता के भाव की अभिव्यक्ति की । सभी ने एक स्वर में निर्णय लिया की आगामी माह में इसे और भव्य स्तर पर ग्रामवासियों के लिए आयोजित किया जाएगा। 20 अगस्त से प्रारम्भ हुए शिविर में प्रतिदिन सुबह 6:00 से 9 बजे तक सभी शिविरार्थियों को योग ध्यान और प्राणायाम के साथ-साथ जीवन जीने की कला के अनूठे गुर सिखाए गए और समापन सत्र में अतिथि सेमिनार में प्रतिभागियों के परिजन भी शामिल हुए। इस शिविर को भव्य रूप से आयोजित करने में प्रशिक्षक रविंद्र पंडित एवम् महादेव पोकाटे,विजय पाटिल,नंदकिशोर मालवीय, आनंद राठौर, राहुल राय,अरूण गंगराडे, शुभम जैसवाल, शुभांगी भाले, निर्मला पाटिल सहित अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
Tags :
विज्ञापन
विज्ञापन
जरूरी खबरें
विज्ञापन